मायावती ने नहीं दिया भाव तो कांग्रेस के पीछे खड़े हुए चंद्रशेखर आजाद

उत्तर प्रदेश में दलित समुदाय के बीच तेजी से जगह बनाने वाले भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर को बसपा अध्यक्ष मायावती ने कोई भाव नहीं दिया बल्कि बीजेपी का ‘एजेंट’ करार दिया. वहीं, बसपा-सपा गठबंधन से दरकिनार किए जाने के बाद कांग्रेस चंद्रशेखर के जरिए दलित मतों को साधने की कवायद की थी. इसी कड़ी में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मेरठ जाकर चंद्रशेखर से मुलाकात की थी. इसके बावजूद चंद्रशेखर कांग्रेस का दामन थामने से साफ इंकार कर दिया था. फिर भी बसपा-सपा से अहमियत नहीं मिलने के बाद अब चंद्रशेखर कांग्रेस के पीछे खड़े होते दिख रहे हैं.

बता दें कि मई 2017 में सहारनपुर के शब्बीरपुर में दलित और राजपूत के बीच हुए जातीय संघर्ष में भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर का नाम सामने आया था. इस घटना के बाद जून 2017 में ही चंद्रशेखर की गिरफ्तारी हुई और उन पर योगी सरकार ने रासुका लगाया था. नवबंर 2018 में कोर्ट से जमानत मिलने के बाद चंद्रशेखर जेल से बाहर आए और इसके बाद से वो सक्रिय हैं.

पश्चिमी यूपी के दलित युवाओं के बीच चंद्रशेखर की अच्छी पकड़ मानी जाती है. इसके बावजूद मायावती उन्हें तवज्जो नहीं दी है. जबकि चंद्रशेखर लगातार कहते रहे है कि मायावती को दलित समुदाय की नेता हैं. चंद्रशेखर ने मायावती के बुआ कहके संबोधित किया था. मायावती की ओर से कभी भी चंद्रशेखर के किसी बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. यही वजह है कि अब कांग्रेस के साथ चंद्रशेखर की नजदीकियां दिखने लगी हैं.

बसपा अध्यक्ष से अहमियत न मिलने के बाद भीम आर्मी अध्यक्ष चंद्रशेखर ने पहले सहारनपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार इमरान मसूद के पक्ष में वोट डालने की दलितों से अपील की. सहारनपुर के साथ-साथ चंद्रशेखर ने महाराष्ट्र में लोकसभा के लिए कांग्रेस, एनसीपी, आरपीआई (के) और प्रकाश अंबेडकर की पार्टी को समर्थन देने का ऐलान किया है.

गौरतलब है कि हाल ही में मेरठ में इलाज के दौरान चंद्रशेखर से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मुलाकात की थी. इसके बाद से कयास लगाया जा रहा था कि चंद्रशेखर कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं, लेकिन उन्होंने कांग्रेस में शामिल नहीं हुए. लोकसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग से एक दिन पहले जिस तरह से उन्होंने कांग्रेस के पक्ष में खड़े नजर आए. इसका राजनीतिक असर क्या होगा ये तो 23 मई को ही पता चलेगा.

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