पानी में यूरेनियम का पता लगाकर कैंसर से बचायेगा यह उपकरण

परमाणु ऊर्जा विभाग के इंदौर स्थित एक प्रमुख वैज्ञानिक संस्थान ने पानी में यूरेनियम के अंशों का स्तर पता लगाने के लिये लंबे समय से चल रहे अनुसंधान के बाद एक विशेष उपकरण विकसित किया है। लेजर फ्लोरीमीटर नाम का यह उपकरण पंजाब समेत देश के उन सभी राज्यों के लोगों को कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों के खतरे से बचा सकता है जहां जल स्त्रोतों में यूरेनियम के अंश घातक स्तर पर पाए जाते हैं।

इंदौर के राजा रमन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र (RRCAT) के निदेशक पीए नाइक ने बताया, ‘मूल रूप से इस उपकरण के अविष्कार की परिकल्पना देश में यूरेनियम के नये भूमिगत भंडारों की खोज के लिये रची गयी थी लेकिन पंजाब के जल स्त्रोतों में यूरेनियम के अंश मिलने के मामले सामने आने के बाद हमने आम लोगों के स्वास्थ्य की हिफाजत के मद्देनजर इसे नये सिरे से विकसित कर इसका उन्नत संस्करण तैयार किया है। इस छोटे-से उपकरण को आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है। किसी भी स्त्रोत से पानी का नमूना लेकर उपकरण में डाल सकते हैं और यह उपकरण फटाफट बता देता है कि पानी में यूरेनियम के अंशों का स्तर कितना है।’

 

नाइक ने यह भी बताया कि लेजर फ्लोरीमीटर के बड़े पैमाने पर विनिर्माण के लिये इसकी तकनीक परमाणु ऊर्जा विभाग की ही इकाई इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) को सौंपी गयी है। लेजर फ्लोरीमीटर विकसित करने में अहम भूमिका निभाने वाले RRCAT के वैज्ञानिक सेंधिलराजा एस. ने बताया, ‘वर्ष 1996 में लेजर फ्लोरीमीटर सरीखा उपकरण 19 लाख रुपये प्रति इकाई की दर पर कनाडा से आयात किया जाता था। हमने अनुसंधान के जरिये सुधार करते हुए स्वदेशी तकनीक वाला उन्नत लेजर फ्लोरीमीटर तैयार किया है जिसे बनाने में महज 1 लाख रुपये का खर्च आया है। बड़े पैमाने पर उत्पादन की स्थिति में इसकी कीमत और घट सकती है।’

सेंधिलराजा ने बताया कि यह उपकरण जल के नमूने में 0.1 पीपीबी (पार्ट्स-पर-बिलियन) की बेहद बारीक इकाई से लेकर 100 पीपीबी तक यूरेनियम के अंशों की जांच कर सकता है। गौरतलब है कि परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (AERB) ने पेयजल में यूरेनियम के अंशों की अधिकतम स्वीकृत सीमा 60 पीपीबी तय कर रखी है। विशेषज्ञों ने चेताया है कि लोगों को अपनी सेहत की हिफाजत के मद्देनजर ऐसे स्त्रोतों के पानी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिये, जिनमें यूरेनियम के अंश तय सीमा से ज्यादा मात्रा में हों।

इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ हेड ऐंड नेक ऑन्कॉलजी के सचिव और देश के वरिष्ठ कैंसर सर्जन दिग्पाल धारकर ने कहा, ‘यूरेनियम एक रेडियोऐक्टिव तत्व है। अगर किसी जल स्त्रोत में यूरेनियम के अंश तय सीमा से ज्यादा हैं, तो इस तरह के पानी के सेवन से थाइरॉयड कैंसर, रक्त कैंसर, बोन मैरो डिप्रेशन और अन्य गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। इससे बच्चों को भी कैंसर होने का खतरा रहता है।’

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