हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक है अजमेर में हजरत ख्वाजा साहब की दरगाह

अमन शांति प्रेम एकता का संदेश लेकर आये भारत में गरीब नवाज़ और पाये हिन्द की सुल्तानी संजर से हिन्दोस्तान का सफ़र

हजरत हुसैन के पैगाम को फैला कर बता दिया दुनिया को हजरत ख़्वाजा साहब ने की ईस्लामी तलवार के दम पर नही बल्कि महोब्बतों से फैला और महोब्बत ही दुनिया की कामयाबी की कुंजी है,, आप ने भारत ने जातिवाद और कट्टरपंथीता को दूर किया और सभी को समान अधिकार की बाते नसीहत की और सभी वर्ग धर्म मनुष्य जानवर सभी पर रहमो करम करते हुए सभी की फ़रियाद सुनी और अल्लाह की दी हुई नेअमतों से नवाजा आप खुद भूखे रहते और गरीबो को खिलाते और इसी बाईस आज भी आप के आस्ताने आलिया में आज भी लँगरे आम चालू है और रहती दुनिया तक रहेगा ईस्वर की इच्छा अनुसार

आप ने अंधों को आँख कोडियो को काया बांझ को औलाद और निर्धन को धनवान बनाया आप ईस्वर और उस के पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब के प्यारे है आप को गरीब नवाज के लक़ब मिला यह लक़ब और पूरी कायनात में और किसी को भी नही मिला है, आप को अपनी पूरी जिंदगी में खिदमते खल्क और ईबादत के अलावा और कुछ नही भाता था आप के अनेको करामत चमत्कारो में से एक यह चमत्कार जिस के होने पर यह भी प्रमाण मिलता है कि आप के दादा हजरत हुसैन कर्बला में प्यासे मजबूरी में नही बल्कि मर्जी से थे,,
वर्ना आप के कहने पर आपके कटोरे में आनासागर का आ जाना यह दर्शाता है कि आप पोते का यह मर्तबा जब ईस्वर ने रखा तो, आप के दादा हजरत हुसैन का मर्तबा तो खुद पैगम्बर साहब ने बताया भी है दिखया भी है और ईस्वर ही जानता है कि वे कितने उचे स्थान पर है एवम उन की गरिमा क्या है, तो क्या अगर हजरत हुसैन चाहते तो कर्बला में पानी नही आता बेशक पूरी दुनिया का जल हुसैन के हुक्म से कर्बला में जमा हो जाता मगर हजरत हुसैन ने ईस्वर की मर्जी को अपनी मर्जी बना ली इस लिए जो हुआ हजरत हुसैन की मर्जी से हुआ

“कत्ले हुसैन असल मे मर्गये यज़ीद था इस्लाम ज़िंदा होता है हर कर्बला के बाद,
“पानी खुद दौड़ता जो चाहते हुसैन,, आप ने बतलादिया गरीब नवाज”‘

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