चीन के CPEC प्रोजेक्ट में लश्कर आतंकियों को नौकरी दिलवा रही ISI

चीन ने वीटो पावर का इस्तेमाल करते हुए भले ही जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी सरगना मसूद अजहर को बचा लिया है, लेकिन एक बड़ा खुलासा हुआ है कि चीन के महत्वाकांक्षी चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) में पाकिस्तान चीन को धोखा देते हुए चुपके से लश्कर के आतंकियों को इस प्रोजेक्ट में नौकरी दिला रहा है.

खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक लाहौर के मरकज-अल कदेसिया में स्थित लश्कर के हेड क्वार्टर में पाकिस्तानी इंजीनियर्स के बैच को अब मैनेजमेंट कोर्स कराया जा रहा है. खुफिया सूत्रों के मुताबिक लश्कर आतंकी और मुंबई हमले का मास्टरमाइंड अब्दुल रहमान मक्की को लश्कर का ये कोर्स कराने की जिम्मेदारी दी गई है.

कोर्स करने के बाद इन इंजीनियरों को लश्कर के एक और सेंटर एबोटाबाद में रखा जाता है, जहां उन्हें कुछ महीनों की शारीरिक ट्रेनिंग दी जाती है.

एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक कोर्स कराए जाने के बाद इन इंजीनियरों को चीन की मदद से बन रहे चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) में नौकरी करने को कहा गया है. लश्कर की ओर से इंजीनियरिंग कोर्स करने वाले पाकिस्तान के इन इंजीनियर्स को कहा गया है कि वो हर महीने अपनी कमाई का एक हिस्सा आतंकी संगठन को दान दें जिससे वो भारत के खिलाफ अपनी आतंकी कार्रवाई को जारी रख सके.

एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 300 पाकिस्तानी इंजीनियर्स को चीन के सीपीईसी से जुड़ने को कहा गया है जिन्होंने आतंकी संगठन से ट्रेनिंग ली है.

26/11 का मास्टरमाइंड मक्की प्रोफेसर नियुक्त

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और पाकिस्तान में बैठे आतंक के आका हाफिज सईद मिलकर हमेशा नई-नई साजिश रचते रहते हैं. खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान लश्कर के आतंकियों को फंड मुहैया कराने के लिए नई चाल चल रहा है. सूत्रों के मुताबिक हाफिज सईद पाक अधिकृत कश्मीर में चल रहे सीपीईसी प्रोजेक्ट में अपने टेक्नोक्रेट लगाकर कमाने का प्लान तैयार किया है. इसके लिए बकायदा हाफिज सईद ने आईएसआई की मदद लेकर 26/11 के मास्टरमाइंड अब्दुल रहमान मक्की को प्रोफेसर के तौर पर नियुक्त किया है.

पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) के अलग-अलग इलाकों में 300 टेक्नोक्रेट यानी लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा  (जेयूडी) के लोगों को ट्रेंड किया जाएगा. कोर्स कराए जाने के बाद इन्हें चीन की मदद से बन रहे सीपीईसी में नौकरी करने को कहा गया है. इन पाकिस्तानी इंजीनियरों को बैकडोर से चीन के सीपीईसी प्रोजेक्ट में भर्ती कराया जाएगा, जिनके जरिए पैसे का एक हिस्सा जमात-उद-दावा और लश्कर-ए-तैयबा को दिया जाएगा जो कश्मीर में जेहाद करेंगे.

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