मोटापा दूर करने के साथ पाचन तंत्र को भी दुरुस्त रखती है अजवाइन

आयुर्वेदिक दृष्टि से अजवाइन पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने वाली औषधि है। सोया, प्रसूति के बाद महिलाओं के लिए लाभदायक औषधि है। आयुर्वेदिक पाक-कला में मसालों का समुचित उपयोग करना जरूरी है। इसके लिए मसालों के गुणधर्म का ध्यान रखना आवश्यक है।

अजवाइनः 
अजवाइन का प्रयोग भारत में दवा और मसाले के रूप में होता है। इसकी तासीर गर्म होती है। यह वात और कफ विकार को ठीक करती है और पित्त को बढ़ाती है। यह अपच की परेशानियों में बहुत ही लाभप्रद होती है। इसे प्रायः तली हुई खाद्य सामग्री बनाने में प्रयोग किया जाता है। अजवाइन से लिवर ठीक से काम करने लगता है। पेट में परेशानी होने पर आधी चम्मच अजवाइन को थोड़े से नमक में डालकर या नींबू के रस के साथ खाने से राहत मिलती है। 

सोयाः 
इसका पौधा दो फीट तक ऊंचा होता है। यह सर्वत्र उग सकता है। इसे पालक-मेथी को अधिक सुगंधित बनाने के लिए सब्जी के तौर पर भी प्रयोग किया जा सकता है। इसके पत्तों की तासीर ठंडी और बीजों की गर्म होती है। बीजों को मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसके बीज महिलाओं के मासिक धर्म को सही करने व प्रसूति उपरांत काम आते हैं। इसके दाने गर्म तासीर वाले होते हैं। अतः इनका अत्याधिक मात्रा में प्रयोग नहीं करना चाहिए।

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