Pulwama Attack : बस्तर के जंगलों में स्थित CRPF कैंपों में शोक और गुस्से की लहर

कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमले का असर छत्तीसगढ़ तक दिख रहा है। छत्तीसगढ़ में सीआरपीएफ की 35 बटालियन तैनात हैं। बस्तर के नक्सल मोर्चे और कश्मीर के बार्डर दोनों जगह देश के लिए सीआरपीएफ जवानों ने शहादत दी है। दोनों जगह तैनात जवानों की सफलता और शहादत साझा है।

यही वजह है कि पुलवामा हमले की सूचना मिलते ही बस्तर के जंगलों में तैनात सीआरपीएफ जवानों में शोक और गुस्से की लहर तैर गई। जवान आक्रोशित हैं लेकिन सतर्क भी हैं। ऐसे हमलों के बाद दुश्मन दुस्साहसी हो सकते हैं।

बस्तर के जंगल में तैनात सीआरपीएफ के एक अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि स्थितियां ठीक नहीं हैं। पुलवामा हमले के बाद सतर्कता बढ़ाई गई है। जवानों की भावनाओं को काबू करना भी एक चुनौती है। उन्होंने बताया कि जम्मू कश्मीर और छत्तीसगढ़ की परिस्थितियां अलग हैं। जो जवान शहीद हुए हैं उनमें कई छत्तीसगढ़ में रह चुके थे। वहां लड़ाई आतंकियों से है जिन्हें बाहरी सपोर्ट मिलता है।

यहां नक्सलियों को बाहरी सपोर्ट मिलता भी हो तो वे जाहिर नहीं करते। अगर वे बाहरी सपोर्ट जाहिर करेंगे तो स्थानीय समर्थन नहीं मिलेगा। यहां दुश्मन ज्यादा खतरनाक है। वह छुपा हुआ है। आदिवासियों का ब्रेन वॉश करके उन्हें फोर्स के सामने खड़ा कर दिया है और खुद उनके पीछे छिपकर वार कर रहे हैं। बस्तर में हम सदैव सतर्क रहते हैं। हां यह जरूर है कि अगर कोई इंटेलीजेंस इनपुट होता है तो सतर्कता और बढ़ाई जाती है। अभी तो हाई अलर्ट पर रहने के निर्देश हैं।

सीआरपीएफ पर सबसे बड़ा हमला बस्तर में

पुलवामा में आतंकी हमले में 42 जवान शहीद हुए। हालांकि सीआरपीएफ के इतिहास में अब तक सबसे बड़ा हमला सुकमा जिले के ताड़मेटला में हुआ था जिसमें सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हो गए थे। 6 अप्रैल 2010 को हुए इस हमले में पूरी एक कंपनी चपेट में आ गई थी। पुलवामा में जहां बारूदी विस्फोट ने जवानों की जान ली वहीं ताड़मेटला में जवानों को घेरकर नक्सलियों ने गोलियां बरसाई थीं। पुलवामा हमले के बाद एक बार फिर ताड़मेटला की चर्चा हो रही है।

एसओपी का सख्ती से पालन करने के निर्देश

पुलवामा हमले के बाद फोर्स को निर्देश दिए हैं कि एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) का सख्ती से पालन किया जाए। कहीं निकलने से पहले इलाके को सेनेटाइज किया जाए। रोड ओपनिंग पार्टियों को अलर्ट रखा जाए। वाहनों का प्रयोग न किया जाए। बारूदी सुरंगों और ट्रेप की खोजबीन करने के बाद ही आगे बढ़ा जाए। पुलवामा हमले के बाद बस्तर में हाई अलर्ट जारी किया गया है। सीमावर्ती राज्यों में गश्त बढ़ाई गई है।

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