पंजाबः लोकसभा चुनाव से पहले तीसरे फ्रंट के एक होने की संभावनाओं पर लगा विराम, जानें कैसे

पंजाब में लोकसभा चुनाव 2019 से ठीक पहले एक मजबूत तीसरे फ्रंट की संभावनाओं पर पूरी तरह से विराम लग गया है। लुधियाना पहुंच अपना पंजाब पार्टी प्रमुख सुच्चा सिंह छोटेपुर ने एक मजबूर तीसरे फ्रंट की वकालत करते हुए सभी छोटी पार्टियों को मंच पर एकत्र होने के लिए कहा। इसमें एक प्रधान, एक संविधान की बात की कही। वहीं दूसरी तरफ शनिवार को लुधियाना पहुंचे पंजाब एकता पार्टी प्रमुख सुखपाल सिंह खैरा ने सुच्चा सिंह की बात को यह कहकर नकार दिया कि अब लोकसभा चुनाव में बहुत कम समय रह गया है, इसलिए ऐसा होना संभव नहीं है। इससे पंजाब में कांग्रेस और अकाली दल के खिलाफ तैयार हो रहे तीसरे फ्रंट को झटका लगा है।

यह था छोटेपुर का प्रस्ताव
सूच्चा सिंह छोटेपुर का सुझाव था कि पंजाब में अकाली और कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने के लिए एक मजबूत तीसरा फ्रंट चाहिए। इसलिए जितनी भी छोटी पार्टी अब तैयार हो रही है, उन्हें चाहिए कि वह सभी एक मंच पर एक बैनर तले एकत्र हो। सभी पार्टी मिलकर अपना एक प्रधान चुने, सहमति के साथ। अगर सहमति नहीं बनती है, तो फिर पर्ची सिस्टम अपनाया जाए। सभी पार्टी के नेता श्री हरमंदिर साहिब जाएं, वहां पर सभी दलों के प्रमुख नेताओं के नाम की पर्ची डाली जाए। जिसका नाम भी निकले उसे तीसरे फ्रंट का प्रधान नियुक्त कर दिया जाए। उसी समय दरबार साहिब में अरदास होनी चाहिए, इसमें सभी पार्टी नेता यह शपथ लें कि वह नवनियुक्त होने वाले प्रधान का पूरा साथ देंगे। छोटेपुर का कहना था कि वह अपना नाम पर्ची में नहीं डालेंगे, क्योंकि अब नए चेहरों को आगे आकर काम करने देना चाहिए।

फिर छोटे दल करें 2022 चुनाव की तैयारी
सुच्चा सिंह छोटेपुर के अनुसार अगर लोकसभा चुनाव के दौरान छोटे छोटे फ्रंट एकजुट नहीं होंगे, तो फिर कांग्रेस और अकाली दल को सत्ता से बाहर करना नामुमकिन होगा। अगर खैरा कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में समय कम रह गया है, तो फिर सभी दलों को 2022 के चुनावों की तैयारी में जुटना चाहिए। क्योंकि अगर छोटे छोटे दल अलग अलग होकर चुनाव लड़ेंगे तो सफलता नहीं मिलेगी। इसका फायदा फिर रिवायती पार्टियों को मिलेगा। अब यह फायदा कौन सी पार्टी को मिलेगा। इसके बारे में वह अभी कुछ नहीं बता सकते हैं।

E-Paper