यह गाँव सवर्णों का है कृपया वोट मांग कर शर्मिंदा ना हों, समस्त ग्राम वासी कदौली”

अलीगढ के एक गाँव के बाहर लगे बोर्ड पर ये लाइन गाँव वालों ने लिखवाई हैं। बीजेपी सरकार की सवर्णों के लिए जो नीतियां है उससे गाँव वाले संतुष्ट नहीं हैं। इसलिए सरकार के विरोध में गाँव वालों ने ये लाइन लिखी हैं। गाँव वालों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के एससी/एसटी एक्ट पर निर्देश के बाद में जो सरकार ने बिल लागू किया है कि पहले गिरफ़्तारी होगी फिर जांच। किसी भी पार्टी ने सरकार के इस बिल का विरोध नहीं किया। हम इसके खिलाफ हैं। इसलिए हम सभी ने ये निर्णय किया है की हम किसी को वोट न देकर नोटा का बटन दबाएंगे। सरकार ने जो दस प्रतिशत आरक्षण सवर्णों को देने की बात कही है वो कोई मतलब नहीं रखता। क्यों कि जब नौकरी ही नहीं हैं तो आरक्षण का क्या मतलब है। सरकार ने राम मंदिर पर भी सन 1990 से हिन्दुओं की आस्था का ख्याल नहीं रखा। हमने बोर्ड इसलिए लगाया है कि कोई भी वोट मांगने ना आये।

अलीगढ में लोकसभा सीट पर इस समय बीजेपी के सांसद सतीश गौतम हैं। यहाँ के बरौली विधान सभा क्षेत्र के गाँव कदौली में सवर्ण बिरादरी के लोग रहते हैं। बरौली विधान सभा पर भी बीजेपी का कब्ज़ा है, ठाकुर दलवीर सिंह यहाँ से बीजेपी के विधायक हैं और उसका मुख्य कारण हैं इस क्षेत्र में सवर्णों के करीब डेढ़ लाख वोट है। क्योंकि 2019 के चुनावों में नेता अपने-अपने पक्ष में वोट करने की अपील करने यहाँ अवश्य आएंगे, इसलिए गाँव वालों ने भी उनको जवाब देने की पहले से तैयारी कर रखी है। गाँव कदौली के लोगों ने आने वाले 2019 के चुनावों को देखते हुए गाँव के बाहर एक बोर्ड लगवा दिया है। इस पर उन्होंने साफ़-साफ़ लिखा है कि यह गाँव सवर्णों का है कृपया वोट मांग कर शर्मिंदा न हों।

कदौली गाँव के लोगों का कहना है कि सरकार ने सवर्णों के साथ हमेशा छल किया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद भी सरकार ने एससी/एसटी एक्ट में सवर्णों के खिलाफ बिल बनाया। किसी भी पार्टी ने इसका विरोध नहीं किया। अब दस प्रतिशत आरक्षण भी दिया वो भी सवर्णों के हित में नहीं है क्यों जब नौकरी ही नहीं हैं तो आरक्षण का क्या मतलब। गाँव वालों ने इसलिए इस बार नोटा का बटन इस्तेमाल करने का फैसला किया है।

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