पांड्या और राहुल का इंतजार और बढ़ा, सुनवाई एक हफ्ते के लिए स्थगित

उच्चतम न्यायालय ने बीसीसीआई के सभी मामलों की सुनवाई एक हफ्ते के लिए स्थगित कर दी है जिससे महिला विरोधी टिप्पणी करने पर निलंबित भारतीय क्रिकेटर हार्दिक पांड्या और लोकेश राहुल का इस मामले पर फैसले का इंतजार बढ़ गया है। पांड्या और राहुल का इंतजार और बढ़ा, सुनवाई एक हफ्ते के लिए स्थगित

बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरूवार को पीटीआई से कहा, ‘अब उच्चतम न्यायालय ने इस मामले का संज्ञान लिया है और पहले ही न्यायमित्र के एक हफ्ते के बाद पद संभालने की बात कही है तो सीओए प्रमुख तदर्थ लोकपाल नियुक्त नहीं कर सकता क्योंकि यह अदालत की अवमानना होगी।’ 

पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता पी एस नरसिम्हा को मामले में न्यायमित्र के रूप में रखा है और स्थायी या तदर्थ लोकपाल की नियुक्ति तभी हो सकती है जब न्यायमित्र पद संभाल लेंगे। 

यह पूछने पर कि अब क्या रास्ता होगा तो अधिकारी ने कहा, ‘तदर्थ लोकपाल की नियुक्ति अब भी हो सकती है लेकिन ऐसा तभी होगा जब पूर्व अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल (पीएस नरसिम्हा) पद संभाल लेंगे और वह इस बात को मान जायें कि तदर्थ लोकपाल इस फैसले के जल्दी खत्म होने के लिये जरूरी है ताकि क्रिकेटर अपनी राष्ट्रीय सेवाए शुरू कर सकें।’ 

सीओए की विवादित बोल मामले में लोकपाल नियुक्ति की मांग 

सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासकों की समिति (सीओए) के उस अनुरोध पर बृहस्पतिवार को संज्ञान लिया जिसमें उसने महिला विरोधी टिप्पणियां करने वाले टीम इंडिया के सदस्यों हार्दिक पांड्या और लोकेश राहुल के बारे में फैसला लेने के लिए तुरंत लोकपाल की नियुक्ति की मांग की थी।

जस्टिस एस ए बोबडे और ए एम सप्रे की पीठ ने कहा कि वह एक सप्ताह के भीतर मामले की सुनवाई करेंगे जब वरिष्ठ अधिवक्ता पी एस नरसिम्हा मामले में न्यायमित्र के रूप में पद संभाल लेंगे। 

सुप्रीम कोर्ट ने नरसिम्हा को न्यायमित्र नियुक्त किया जब वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रहमण्यम ने मामले में न्यायमित्र बनने के लिए दी गई सहमति वापिस ले ली थी। सीओए की ओर से वरिष्ठ  अधिवक्ता पराग त्रिपाठी ने कहा कि कोर्ट को लोकपाल की सीधे नियुक्ति करनी चाहिए क्योंकि इन दोनों प्रतिभाशाली युवा क्रिकेटरों के भविष्य पर तुरंत फैसला लेना है। 

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