पाकिस्तान पीएम इमरान खान को लिखा पत्र- करतारपुर साहिब को हेरिटेज विलेज का दर्जा दें

श्री करतारपुर साहिब की पावन धरती (गांव) को हेरिटेज का दर्जा देने के लिए पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान को सोशल मीडिया के माध्यम से गुहार लगाई है। भारत-पाकिस्तान सरकारों के बीच डेरा बाबा नानक-करतारपुर साहिब कॉरिडोर के निर्माण पर बनी सहमति के बाद अब विदेशों में बसी सिख संगत ने यह कदम उठाया है।

लेटर में पाक सरकार से कहा गया है कि पवित्र अस्थान (करतारपुर साहिब) के मूल को न बदला जाए और उसे गुरु नानक देव जी के समय का ‘पिंड’ बनाए रखा जाए। पाकिस्तान के पीएम इमरान खान को लिखे पत्र में कहा गया है की करतापुर साहिब के कॉरिडोर के निर्माण के बाद पाक सरकार के लिए एक अवसर व भारी जिमेदारी है कि वह गुरुनानक जी के मानवता के आदर्शों को पुनर्जीवित करे।

कहा गया है कि करतारपुर साहिब जो गुरु नानक देव जी का अंतिम आस्थान था ,समस्त जगत की आने वाली नस्लों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन सकता है। यहाँ सभी तीर्थ यात्रा कर सकेंगे। मानवता की एकता के पैगंबर बाबा नानक को श्रद्धांजलि अर्पित कर सकेंगे। इसके अलावा करतारपुर साहिब को हेरिटेज विलेज का दर्जा दिया जाए। बाबा नानक ने अपने जीवन के 18 वर्ष अपने यहाँ बिताए थे। करतारपुर साहिब की माटी करोड़ों नानं नाम लेवा संगत के लिए बड़ी मुकद्दस है।

दुनिया को बताएं कि अपनी धरोहर को कैसे संभाला जाता है
अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, भारत व पाकिस्तान सहित कई देशों में बस्ती नानक संगत पाकिस्तान सरकार से अपील करती है की बाबा नानक के गावं करतारपुर साहिब को हेरिटेज विलेज का दर्जा दिया जाये। पाकिस्तान सरकार दुनिया को बताए की अपनी धरोहर को कैसे संभाला जाता है। करतारपुर साहिब से पूरी दुनिया को मानवता का संदेश मिले। जो इस पावन धरती के दर्शन करे तो वह बाबा नानक के समय में पहुंच जाये।

हेरिटेज गांव की लुक ऐसे हो जैसे बाबा नानक के समय थी। गुरुद्वारा के आसपास स्तिथ खेतों में प्राचीन ढंग से खेती की जाये। गुरुद्वारा साहिब आसपास 100 एकड़ भूमि में देसी पौधे लगाए जाएं। वहां साफ पानी ,पक्षियों व जानवरों को प्रबंध किया जाये जैसे गुरु जी के समय होता था। गुरुद्वारा साहिब के भवन व बरामदा में कोई भी छेड़छाड़ न की जाए। गुरु साहिब के साथ जुड़ी यादों का पुनर्निर्माण कराया जाए।

इस यादगारों को गुरुद्वारा करतारपुर साहिब व पुराणी खुई के साथ जोड़ा जाए। नए निर्माण की लुक गुरु साहिबान के समय जैसी हो। संगत के लिए सरए का निर्माण करना जरूरी हो तो वह गुरुद्वारा से दूर बनाई जाए। गुरुद्वारा साहिब के दर्शनों के लिए संगत को पैदल जाने के लिए प्रेरित किया जाये। बजुर्गों व बीमारों के लिए ही ट्रांसपोर्ट का प्रबंध किया जाये। करतापुर गुरुद्वारे के नजदीक किसी भी वाहन को न आने दिया जाये।

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