छत्तीसगढ़: भूपेश बघेल सिर्फ 13 को मंत्री बना सकते हैं, रेस में ये 17 विधायक
छ्त्तीसगढ़ के तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में भूपेश बघेल सोमवार को शपथ लेंगे। हालांकि कैबिनेट गठन की कवायद शुरू हो गई है। बघेल के मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिए 17 विधायक जोर लगा रहे हैं। लेकिन संवैधानिक बाध्यता के चलते राज्य में सिर्फ 13 मंत्री ही बनाए जाएंगे। ऐसे स्थिति में बघेल किसने मंत्रिमंडल में किस किसको शामिल करेंगे। यह अहम सवाल है।
तैयार कर रहे ये फॉर्मूला
मंत्रिमंडल गठन को लेकर बघेल वरिष्ठ नेताओं के साथ सलाह मश्विरा कर रहे हैं। इसके लिए एक फॉर्मूला निकाला जा रहा है। पार्टी सूत्रों के अनुसार हर संभाग से तीन-तीन और मुख्यमंत्री के गृह संभाग से उनके अलावा एक विधायक को मंत्री पद दिया जा सकता है।
बघेल का कहना है कि उनकी कैबिनेट में युवाओं और महिलाओं को भी उचित जगह दी जाएगी। विधायक अपने समर्थकों के जरिए मंत्री बनने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं। इसी तरह विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का भी चयन किया जाना है।
मंत्री बनने के रेस में ये 17 विधायक और उनकी खासियत
चरणदास महंत
चरणदास महंत मुख्यमंत्री पद के चार दावेदारों में से एक थे। महंत चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष रहे। केंद्रीय मंत्री रहे महंत को प्रशासन का अनुभव भी है। महंत मध्यप्रदेश में गृहमंत्री रह चुके हैं। हालांकि ऐसे संकेत हैं कि इन्हें विधानसभा अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
ताम्रध्वज साहू
ताम्रध्वज साहू मुख्यमंत्री पद के चार दावेदारों में से एक थे। साहू ओबीसी वर्ग के बड़े नेता हैं। मंत्रिमंडल में जगह देकर उनके समर्थकों को संदेश दिया जा सकता है। खास बात यह है कि उन्होंने सांसद के पद से इस्तीफा देकर विधायक का चुनाव लड़ा।
टीएस सिंहदेव
टीएस सिंहदेव मुख्यमंत्री पद के चार दावेदारों में से एक थे। वे सरगुजा के राज परिवार से हैं। सिंहदेव ने सरगुजा संभाग में जीत के लिए रणनीति बनाई और यहां से 14 विधानसभा सीटों में जीत मिली। सिंहदेव की अगुवाई में कांग्रेस ने चुनाव घोषणा पत्र तैयार किया जो राज्य में प्रचंड जीत का आधार बना।
सत्यनारायण शर्मा
सत्यनारायण शर्मा दिग्विजय सिंह और अजीत जोगी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। उनका लंबा सियासी अनुभव है और सबको साथ में चलने के उनके व्यक्तित्व के चलते उन्हें विधानसभा का स्पीकर के लिए भी उनके नाम पर विचार किया जा रहा है।
रविंद्र चौबे
रविंद्र चौबे को पीडब्लूडी और जनसंपर्क विभागों के कामकाज का अनुभव है। संसदीय कार्यों और उनके लंबे सियासी अनुभव के मद्देनजर विधानसभा स्पीकर के रूप में उनके नाम की भी चर्चा की जी रही है।
कवासी लखमा
कवासी लखमा लगातार चौथी बार विधायक बने हैं। लखमा घोर नक्सल प्रभावित इलाके से ताल्लुक रखते हैं। अभी वे सदन में उपनेता प्रतिपक्ष के पद पर हैं और उनकी काफी छवि काफी आक्रामक नेता की हैं।