Mallya Extradition: लंदन के कोर्ट ने माल्या को कर्ज देने वाले बैंकों पर भी उठाए सवाल

भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या को भारत भेजने का आदेश देने वाली लंदन की जज ने भारतीय बैंकों के काम करने के तरीकों पर भी सवाल उठाए हैं। वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट की चीफ मजिस्ट्रेट जज एम्मा आर्बथनॉट ने माल्या के प्रत्यर्पण आदेश में इस बात पर हैरानी जताई है कि आखिर किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व बॉस के क्रेडिट की जांच किए बिना ही बैंकों ने किस आधार पर कर्ज दे दिया।

इस बीच, यूके के गृह विभाग को माल्या के प्रत्यर्पण से संबंधित कोर्ट का आदेश मिल गया है। अब माल्या के प्रत्यर्पण पर पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश गृह मंत्री साजिद जावेद को दो महीने के भीतर फैसला करना है।

जज ने कुछ सरकारी बैंकों की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि सरकारी बैंक लोन देने से पहले उचित क्रेडिट रिपोर्ट प्राप्त करने में असफल रहे। जज ने कहा कि बैंकों की तरफ से दो स्तरों पर चूक हुई। लोन देने से पहले गारंटी लेने और लोन लेने के लिए किंगफिशर एयरलाइन के दावों की सच्चाई की जांच कराने में बैंक विफल रहे।

अदालत ने इसे बैंकों द्वारा सतत विफलता करार दिया। जज ने यह भी कहा कि अदालत के समक्ष पेश साक्ष्य से यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि क्या ऐसा जानबूझकर किसी गुप्त वित्तीय इरादे से किया गया, या फिर बैंक अरबपति कारोबारी के चमक-दमक वाले व्यक्तित्व के झांसे में आ गए और अपने नियमों को ताक पर रख दिया।

जज एम्मा आर्बथनॉट ने अपने फैसले में आगे लिखा है कि केएफए को कर्ज देते समय मानदंडों को लागू किया गया होता, अगर उसके बैकग्र्राउंड की जांच की गई होती, तो लोन मंजूर ही नहीं होता। जज ने कहा है कि प्राथमिक तौर पर ऐसा लगता है कि धोखाधड़ी के इस खेल में केएफए के कुछ कर्मचारियों के साथ ही आइडीबीआइ के कुछ अधिकारी भी शामिल थे, जिनके नाम भारत सरकार के केस में लिया गया है।

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