सीपीसी के प्रस्ताव की मंजूरी से और ताकतवार होंगे शी जिनपिंग, जाने अमेरिका ने क्या कहा…

नई दिल्ली.  चीन की सत्तारुढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) ने संविधान से राष्ट्रपति के दो कार्यकाल की सीमा हटाने का रविवार (26 फरवरी) को प्रस्ताव रखा, जिससे संभवत: राष्ट्रपति शी चिनफिंग को दूसरे कार्यकाल के बाद भी सत्ता में बने रहने का रास्ता खुल जाएगा. चिनफिंग का कार्यकाल 2023 तक है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पूरे मामले पर अमेरिका ने कहा कि इस बात का निर्णय चीन ही ले सकता है कि ‘उसके देश के लिए क्या बेहतर है’.

देश के संविधान में संशोधन का दिया प्रस्ताव

समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, चीन की सरकारी संवाद समिति शिन्हुआ ने खबर दी कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की केंद्रीय समिति ने देश के संविधान से इस उपबंध को हटाने का प्रस्ताव रखा है, जिसमें राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के कार्यकाल दो से ज्यादा नहीं होने का प्रावधान है. कार्यकाल की सीमा हटाने के प्रस्ताव पर आज होने वाले पार्टी के पूर्ण अधिवेशन में मुहर लग सकती है. इससे आधुनिक चीन के सबसे शक्तिशाली शासक समझे जाने वाले 64 वर्षीय शी को असीमित कार्यकाल मिल जाने की संभावना है. राष्ट्रपति शी ने पिछले साल सीपीसी की राष्ट्रीय कांग्रेस के बाद पांच साल के अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत की है. वह सीपीसी और सेना के भी प्रमुख हैं.

2013 में पार्टी के प्रमुख और राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे शी चिनफिंग

पिछले साल सात सदस्यीय जो नेतृत्व सामने आया था उसमें कोई भी उनका भावी उत्तराधिकारी नहीं है. ऐसे में इस संभावना को बल मिलता है कि शी चिनफिंग का अपने दूसरे कार्यकाल के बाद भी शासन करने का इरादा है. तब से पार्टी के सभी अंग ने पिछले तीन दशक से चले आ रहे सामूहिक नेतृत्व के सिद्धांत को दरकिनार कर उन्हें पार्टी का शीर्षतम नेता घोषित कर दिया है. शी 2013 में पार्टी के प्रमुख और राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे. बाद में उन्होंने सेना के प्रमुख की कमान भी संभाली थी.

वर्ष 2016 में सीपीसी ने आधिकारिक रुप से शी को दिया था ‘प्रमुख’ नेता का खिताब

पांच साल में एक बार होने वाली सीपीसी की कांग्रेस पिछले साल शी की विचारधारा को संविधान में जगह देने पर राजी हो गयी थी. यह सम्मान आधुनिक चीन के संस्थापक माओ त्से तुंग और उनके उत्तराधिकारी देंग शियोपिंग के लिए ही आरक्षित था. वैसे शी के पूर्ववर्ती जियांग जेमिन और हू जिंताओ के विचार का संविधान में उल्लेख है लेकिन उनके नामों का जिक्र नहीं है. वर्तमान में शी या उनके चिंतन को चुनौती देने की किसी भी कोशिश को पार्टी के खिलाफ जाना माना जाएगा.

E-Paper