देवउठनी एकादशी 19 को, शुभ कार्यों की होगी शुरुआत

 पिछले चार माह से जुलाई महीने में पड़ी देवशयनी एकादशी से देवगण विश्राम कर रहे हैं। इसके चलते सभी तरह के शुभ संस्कारों पर रोक लगी हुई है। अब चार दिन बाद 19 नवंबर को पड़ रही देवउठनी एकादशी से देवगण पुन: जागेंगे। देवगणों के जागने का समय शुरू होते ही शुभ संस्कार किए जा सकेंगे।

देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा और शालिग्राम-तुलसी का ब्याह संपन्न कराने की रस्म निभाई जाएगी। हर साल तुलसी विवाह के साथ ही विवाह के मुहूर्त शुरू हो जाते हैं, लेकिन इस बार शुक्र ग्रह अस्त होने के कारण विवाह के लिए शुभ मुहूर्त नहीं है। विवाह को छोड़कर बाकी शुभ कार्य होंगे।

गुरु अस्त और शुक्र शैशव अवस्था में 

ज्योतिषाचार्य डॉ.दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार विवाह के लिए कारक माने जाने वाला शुक्र ग्रह शैशव अवस्था में है। साथ ही 13 नवंबर को गुरु ग्रह भी अस्त हो चुका है जो छह दिसंबर को उदित होगा। यह भी श्रेष्ठ अवस्था में नहीं होगा। चूंकि गुरु और शुक ग्रह का उदित होना विवाह के लिए जरूरी होता है। इन दिनों शुक्र शैशव अवस्था में है और गुरु अस्त हो गया है, इसलिए विवाह के लिए शुभ मुहूर्त नहीं है।

मलमास के बाद विवाह मुहूर्त 

सूर्य 16 दिसंबर को धनु राशि में प्रवेश कर रहा है, इस दिन से मलमास प्रारंभ हो जाएगा। सूर्य जब 15 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश करेगा तभी विवाह मुहूर्त शुरू होंगे।

दांपत्य जीवन में कलह 

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से गुरु और शुक्र ग्रह के अस्त होने पर यदि विवाह किया जाए तो दांपत्य जीवन सुखी नहीं होता। पति- पत्नी के बीच कलह होती है।

मीन मलमास में भी मुहूर्त नहीं 

जनवरी में विवाह मुहूर्त शुरू होने के बाद फरवरी तक शुभ मुहूर्त है। इसके बाद होलाष्टक के आठ दिन और 15 मार्च से सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करने के बाद 15 अपै्रल तक मुहूर्त नहीं है।

तीन माह में मुहूर्त 

जनवरी 17, 18, 22, 23, 24, 25, 26, 27, 29, 30, 31

फरवरी 1, 2, 3, 8, 9, 10, 13, 14, 15, 19, 21, 22, 23, 24, 25, 28

मार्च 2, 7, 8, 9, 12, 13 व 14

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