रघुराज प्रताप सिंह ‘राजा भैया’ ने कहा-संसद में SC-ST कानून में संशोधन न्यायसंगत नहीं

प्रदेश में 25 वर्ष से राजनीतिक पारी खेल रहे राजा भैया के मुताबिक पार्टी के 80 फीसदी समर्थक चाहते थे कि नई पार्टी का ऐलान हो इसलिए उन्होंने ये बड़ा कदम उठाया है। राजा भैया अब 30 नवंबर को लखनऊ के रमाबाई मैदान में अपनी पार्टी की रैली अयोजित करेंगे। 30 नवंबर को राजा भैया के राजनीति में 25 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस रैली में अपने समर्थकों के बीच ही वो अपनी पार्टी के गठन करेंगे। इसी साल मार्च में राज्य सभा की दस सीटों के लिए चुनाव हुए थे। बीजेपी ने 9, एसपी और बीएसपी ने एक एक उम्मीदवार उतारे थे। दबंग रघुराज प्रताप सिंह और उनके समर्थक विधायक विनोद सरोज ने बीजेपी की लाज बचा ली। समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ कर दोनों विधायकों ने बीजेपी के लिए वोट किया। बीएसपी का उम्मीदवार हार गया।

अखिलेश यादव के साथ ही मुलायम सिंह यादव, राजनाथ सिंह व स्वर्गीय राम प्रकाश गुप्त के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री रहे राजा भैया की पार्टी का मुख्य मुद्दा एससी/एसटी एक्ट का विरोध और प्रमोशन में आरक्षण का विरोध होगा। बसपा से राजा भैया का विरोध जगजाहिर है। ऐसे में वह उत्तर प्रदेश की राजनीति में वो सवर्ण वोटों को कैश करने की कोशिश में हैं। वह खुलकर प्रमोशन में आरक्षण और एससी/एसटी एक्ट के विरोध में खड़े होकर वो सूबे की सवर्ण जातियों को अपनी ओर मोडऩा चाहते हैं। राजा भैया का प्रतापगढ़ और इलाहाबाद जैसे इलाकों में अच्छा खासा प्रभाव है। उनकी छवि एक बाहुबली और राजपूत नेता के तौर पर है।

लोकसभा चुनाव में उतार सकते हैं कैंडिडेट

माना जा रहा है कि राजा भैया लोकसभा चुनाव 2019 में अपने उम्मीदवार खड़े कर सकते हैं। रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने 26 वर्ष की उम्र में 1993 में पहली बार कुंडा विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की थी। इसके बाद से वे लगातार इसी सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल करते आ रहे हैं। वह तो सिर्फ एक सीट से ही चुनाव लड़ते हैं लेकिन आसपास की आधा दर्जन सीटों पर उनकी दखल है। ऐसे में उनके अलग पार्टी बनाने के फैसले के उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़े मायने हैं।

उन्होंने कहा कि भले ही हमारी पार्टी नई है, लेकिन हमारी पार्टी नई है लेकिन भरोसा है कि हम अपने मुद्दों को लेकर जनता के बीच जगह बनाएंगे। उन्होंने कहा कि वह लगातार जीतते आए हैं। जाहिर है कि जनता को उन पर विश्वास है इसलिए वह उन्हें चुन रही है। इस लिए अब वह चाहते है कि पार्टी बनाकर जनता की सेवा करें। उन्होंने बताया कि पार्टी के रजिस्ट्रेशन के लिए वह जल्द ही चुनाव आयोग के पास जाएंगे। उन्होंने बताया कि जनसत्ता पार्टी, जनसत्ता लोकतांत्रिक पार्टी व जनसत्ता दल, तीन नाम चुनाव आयोग को भेजे गए हैं। पार्टी सिंबल के लिए चुनाव आयोग को लेटर लिखा गया है। राजा भैया का अच्छा खासा प्रभाव प्रतापगढ़ और इलाहाबाद जिले के कुछ हिस्से में हैं। उनका छवि एक दबंग और क्षत्रिय नेता के तौर पर है। ऐसे में अलग पार्टियों के क्षत्रिय विधायकों से उनके रिश्ते काफी बेहतर हैं।

राजाभैया 30 नवंबर को लखनऊ में अपने सम्मान समारोह के दौरान अलग दल की घोषणा करेंगे। एमएलसी कुंवर अक्षय प्रताप सिंह ने चित्रकूट में कहा कि नई पार्टी का नाम जनसत्ता दल होगा। उन्होंने कहा यह दल गरीबों, मजलूमों व आम जन की आवाज बनेगा। रजत जयंती समारोह में भारी जनसैलाब जुटाकर कार्यक्रम को ऐतिहासिक बनाने में जुटे राजा भैया के करीबी विधान परिषद के सदस्य अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपाल जी धर्मनगरी चित्रकूट के दौरे पर पहुंचे। यहां अक्षय प्रताप ने कहा कि आम जनता के स्वाभिमान व सम्मान के लिए राजा भैया नई पार्टी का गठन कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव में किसी दल के साथ गठबंधन से उन्होंने इंकार किया।

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