अंग्रेजी में अब नहीं उलझेंगे कर्मी, हिंदी में पढ़ सकते हैं इस्पात उत्पादन की प्रक्रिया

अब स्टील उत्पादन प्रक्रिया की जानकारी आम कर्मचारियों को कठिन अंग्रेजी के शब्दों के बजाय हिंदी में मिलेगी। ब्लास्ट फर्नेस-7 का इलेक्ट्रिकल कंट्रोल सिस्टम, टीएंडडी की ट्रॉम्स प्रणाली, प्लांट गैरेज की अर्थ मूर्वस प्रणाली, एसएमएस-1 की उत्पादन प्रणाली हिंदी में ऑनलाइन उपलब्ध है।

भिलाई इस्पात संयंत्र के मानव संसाधन विकास केंद्र में संयंत्र स्तरीय राजभाषा तकनीकी प्रस्तुति प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस अवसर पर तकनीकी प्रस्तुति प्रतियोगिता में कुल 18 टीमों ने भाग लिया, जिनमें रेल एवं स्ट्रक्चरल मिल की टीम ट्रॉफी विजेता रही। इस टीम के विजय कुमार सोनी, अनामिका कुमारी ने शानदार प्रस्तुति दी। दूसरे स्थान पर सीएंडआइटी विभाग की टीम रही, जिसमें समता कुमार, सहायक महाप्रबंधक, शरद निगम-उप प्रबंधक रहे। इसके अलावा तृतीय स्थान पर कोक ओवन की टीम रही। प्रवीण व्यवहारे-सीनियर ऑपरेटिव, शिलादित्य मजूमदार-चार्जमैन को अवार्ड दिया गया। जीएम इंचार्ज माइंस एके मिश्र ने विजेताओं को पुरस्कृत किया। सांत्वना पुरस्कार राजहरा माइंस के पुरेन्द्र कुमार, गेंद राम पटेल, अमित सिन्हा, सपन चक्रवती को दिया गया। इस अवसर पर विजेता टीम रेल मिल के हिंदी समन्वय अधिकारी केआर धुरंधर-उप महाप्रबंधक (आरएसएम) को स्मृति चि- प्रदान कर सम्मानित किया गया।

महाप्रबंधक (आंतरिक अंकेक्षण) मिथिलेश कुमार इस प्रतियोगिता में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उप महाप्रबंधक प्रभारी (तकनीकी सेवाएं) डॉ. एसएल सिंह ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि व सहायक महाप्रबंधक (कार्मिक-कैंटीन) जेएन ठाकुर सहित हिंदी समन्वय अधिकारियों व प्रतिभागी उपस्थित थे। संचालन डीके मेश्राम-राजभाषा विभाग और धन्यवाद ज्ञापन सहायक महाप्रबंधक (राजभाषा) डॉ. बीएम तिवारी ने किया।

दस साल से संयंत्र स्तर पर हो रही प्रतियोगिता

प्रतियोगिता के समापन एवं पुरस्कार वितरण समारोह के मुख्य अतिथि व महाप्रबंधक प्रभारी (खदान एवं रावघाट) अरविंद कुमार मिश्र ने कहा कि हमारे देश में भिन्ना-भिन्न भाषा एवं बोलियां बोली जाती हैं। यदि पूरे देश को संपर्क भाषा के रूप में जोड़ने का काम कोई भाषा कर रही है, तो वह हिंदी ही है। हिंदी के इसी महत्व को देखते हुए हमारे संविधान निर्माताओं ने इसे ‘राजभाषा’ के रूप में ऑफिस के कामकाज की भाषा का दर्जा प्रदान किया। इस दौरान मिथिलेश कुमार ने कहा कि संयंत्र के राजभाषा विभाग द्वारा विगत 10 वर्षों से तकनीकी क्षेत्र में हिंदी को लागू करने के लिए संयंत्र एवं सेल स्तर पर प्रतिवर्ष कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिसका परिणाम है कि आज विभागों में अधिकांश तकनीकी प्रस्तुतियां यूनीकोड के माध्यम से हिंदी में ही की जा रही हैं।

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