ऑनलाइन सप्लाई में हर 35वां कॉस्मेटिक प्रोडक्ट डुप्लीकेट

 ऑनलाइन चीजों को खरीदने के शौकीन हैं तो कुछ सावधानी बरतने की भी जरूरत है, ताकि आप नकली सामान खरीदने से बच जाएं। दरअसल इन दिनों तेजी से बढ़ रही ई-कॉमर्स साइट्स पर नकली उत्पादों की बिक्री बढ़ी है। एक सर्वेक्षण से पता चला है कि ई-कॉमर्स कंपनियों से ग्राहकों को एक तिहाई नकली उत्पाद मिल रहे हैं। ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों पर बेचा जाने वाला हर 35वां उत्पाद नकली आ रहा है। यह सर्वेक्षण लोकल सर्किल के सिटीजन एंग्जेगमेंट के सर्वे में सामने आया है। इन सर्वेक्षणों के अनुसार सबसे ज्यादा सौंदर्य और सुगंधित सामान में सबसे ज्यादा नकली सामान ऑनलाइन बेचा जा रहा है। परफ्यूम से लेकर ब्रांडेड पाउडर सबसे ज्यादा ऑनलाइन नकली बेचे जा रहे हैं। 

ऑनलाइन शॉपिंग में इलेक्टॉनिक सामान सुरक्षित

सर्वे में सबसे ज्यादा लोगों को इलेक्टॉनिक सामान ओरिजनल दिए गए। लोगों ने सर्वे में स्वीकार किया है कि अन्य उत्पादों की अपेक्षा इलेक्टॉनिक सामान में मोबाइल सेट सही पहुंचे, बल्कि इससे जुड़े चार्जर, बैटरी, हैड फोन जैसे सामान अधिकतर नकली दिए जाते हैं। सर्वे में इलेक्टॉनिक सामान पर लोगों ने 90 प्रतिशत भरोसा जताया तो वहीं उससे जुड़े उपकरण पर सिर्फ 30 प्रतिशत ही लोगों ने सही सामान मिलने की बात स्वीकार की।

लोकल सर्किल की ओर से किए गए इस सर्वेक्षण के मुताबिक ऑनलाइन खरीदारी करने वाले 37 फीसदी खरीदारों ने कहा कि उन्हें स्नैपडील से फर्जी उत्पाद प्राप्त हुए हैं। 20 प्रतिशत ने अमेजॉन का हवाला दिया और 22 फीसदी ने फ्लिपकार्ट का हवाला दिया। इस सर्वेक्षण से यह भी पता चला है कि पिछले छह महीनों में ऑनलाइन खरीदारी करते समय कौन सा प्रोडक्ट्स सबसे अधिक नकली निकला है। इसपर 35% लोगों के फ्रेगनेंस, कॉस्मेटिक को लेकर 22% ने लोगों ने और स्पोर्ट्स संबंधी आइटम पर 8% फर्जी सामान निकला है।

सभी सामान की शिकायत के आधार पर

– 19 प्रतिशत उपभोक्ताओं को मिले नकली उत्पाद

– 21 प्रतिशत को पता ही नहीं नकली है या असली

– 57 प्रतिशत ने नकली से किया इन्कार

– तीन प्रतिशत की कोई प्रतिक्रिया नहीं

कॉस्मेटिक प्रोडक्ट पर शिकायत

– 35 प्रतिशत सुगंधित सामग्री नकली

– 35 प्रतिशत सौंदर्य सामग्री नकली

– 22 प्रतिशत मिलावटी सामग्री

– आठ प्रतिशत की कोई प्रतिक्रिया नहीं।

किसी भी उत्पाद के नकली होने के संदेह पर उसकी प्रयोगशाला में जांच करवाएं। परीक्षण में यदि सैंपल फेल होता है तो तत्काल उपभोक्ता फोरम में उक्त कंपनी के नाम पर केस करें। मुकदमे में खर्च हुई राशि, मानसिक प्रतारणा और उत्पाद की राशि का खर्च कोर्ट उक्त कंपनी से वसूल कर ग्राहक को दिलाता है।

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