#MeToo: कोर्ट में बोले अकबर- रमानी के ट्वीट में नहीं था मेरा नाम
#MeToo कैंपेन के बाद विदेश राज्य मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले एमजे अकबर ने बुधवार को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराया. कई महिला पत्रकारों ने अकबर पर यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था, जिसके बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था.
कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराते हुए अकबर ने अपने पत्रकारिता करियर, लेखक होने के बारे में बताया. अकबर ने कहा कि बतौर पत्रकार मेरा करियर काफी लंबा रहा है, मैं काफी छोटी उम्र में ही संडे गार्जियन (कोलकाता) का एडिटर बन गया था.
उन्होंने कहा कि मैंने दैनिक अखबार टेलिग्राफ से करियर की शुरुआत की, 1993 में एशियन एज का एडिटर बना और उसके बाद मैं संडे गार्जियन का एडिटर बन गया. बता दें कि अकबर ने पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ मानहानि का केस दायर किया है. अकबर ने कहा कि प्रिया रमानि के खिलाफ मैंने मानहानि का केस किया है, उन्होंने मेरे ऊपर आरोप लगाते हुए कई ट्वीट किए थे.
अकबर ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने रमानी द्वारा 10 और 13 अक्टूबर को किए गए ट्वीट पर मानहानि का केस किया है. इन ट्वीट्स को कई अखबारों और वेबसाइटों ने छापा. उन्होंने कहा कि उनके द्वारा जो आर्टिकल लिखा गया था, उसमें मेरा नाम नहीं है. जब उनसे पूछा गया तो भी उन्होंने ये ही कहा कि मैंने कुछ नहीं किया था.
‘Me Too’ अभियान के सामने आने और कई महिला पत्रकारों द्वारा अकबर के खिलाफ आरोप लगाए जाने के 10 दिन बाद भारतीय राजनीति में यह पहला इस्तीफा था. इस मामले की अगली सुनवाई अब 12 नवंबर को होगी.
क्या था मामला?
दरअसल, विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर कई अखबारों के संपादक रहे हैं. उनके ऊपर कई महिला पत्रकारों ने #MeToo कैंपेन के तहत आरोप लगाए थे. अकबर पर पहला आरोप प्रिया रमानी नाम की वरिष्ठ पत्रकार ने लगाया था जिसमें उन्होंने एक होटल के कमरे में इंटरव्यू के दौरान की अपनी कहानी बयां की थी.
रमानी के आरोपों के बाद अकबर के खिलाफ आरोपों की बाढ़ आ गई और एक के बाद एक कई अन्य महिला पत्रकारों ने उन पर संगीन आरोप लगाए. जिसकी वजह से सोशल मीडिया और विपक्ष की ओर से लगातार उनके इस्तीफे की मांग उठ रही थी.