तमाम दिग्गजों को झोंकने के बाद भी भाजपा कोटद्वार नगर निगम मेयर पद पर खड़े बागियों को नहीं मना पाई। इस सीट पर पूर्व नगर पालिकाध्यक्ष शशि नैनवाल और भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष धीरेंद्र चौहान की पत्नी विभा चौहान के मैदान में डटे रहने से पार्टी के लिए चुनाव चुनौतीपूर्ण हो गया है। इस सीट पर पार्टी के कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत की प्रतिष्ठा दांव पर मानी जा रही है।
उधर, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के गढ़ डोईवाला में नगर पालिका के अध्यक्ष पद ताल ठोकने वाले दो बागियों मधु डोभाल और संजय प्रजापति ने भी पर्चा वापस लेने से इंकार कर दिया। मधु, सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के प्रतिनिधि पुरुषोत्तम डोभाल की पत्नी हैं। उनकी मौजूदगी से इस हाई प्रोफाइल माने जाने वाले निकाय में भाजपा कठिन मुकाबले में फंस गई है।
उधर, मुख्यमंत्री की भाभी कांति देवी के निर्दलीय नामांकन भरने से सुर्खियों में आई सतपुली नगर पंचायत में अध्यक्ष पद पर चुनाव दिलचस्प हो गया है। इस सीट पर सीएम की भाभी ने नामांकन वापस नहीं लिया।
हरिद्वार की शिवालिक नगर नगरपालिका में भाजपा के एक ही बागी देवकी नंदन पुरोहित का पर्चा वापस हुआ। दो अन्य बागी संजीव चौधरी और उपेंद्र शर्मा अब भी मैदान में हैं। पौड़ी नगर पालिका में अध्यक्ष पद पर दलबीर सिंह के मैदान में हटने से भाजपा को कुछ राहत मिली, लेकिन वहां दूसरी बागी कुसुम चमोली अब भी मैदान में डटी हैं।
इसी तरह नई टिहरी नगर पालिका अध्यक्ष पद पर सुषमा उनियाल, रुद्रप्रयाग में सुशीला बिष्ट, देवप्रयाग में विद्यार्थी पालीवाल, घनसाली में साहब सिंह कुमाई और विशाल रावत, चंबा में निर्मला बिष्ट और सुनीता पुंडीर, उत्तरकाशी में भाजपा के बागी कुलदीप बिष्ट और महेश पंवार, चिन्यालीसौड नगर पालिका में कुसुम रावत अध्यक्ष पद के चुनाव में भाजपा को फंसा दिया है। नगर पंचायत मुनि की रेती में भाजपा के बागी योगेश राणा ने भी मैदान नहीं छोड़ा है।
भाजपा को यहां मिली राहत
इन निराश करने वाली खबरों के बीच भाजपा ने ऋषिकेश नगर निगम में दो बागी उम्मीदवारों के मैदान से हटने पर राहत की सांस ली है। डैमेज कंट्रोल में जुटे पार्टी दिग्गजों की कोशिशें यहां रंग लाईं और दोनों बागी कुसुम कंडवाल और चारु कोठारी ने नामांकन वापस ले लिया। सियासी हलकों में ये चर्चा खासी गर्म रही कि मैदान से हटने वाली दोनों नेत्रियों को सरकार में अहम दायित्व देने का वादा किया है। रुद्रपुर नगर निगम के मेयर पद पर बागी सुरेश कोली का पर्चा खारिज होने के बाद भाजपा ने राहत की सांस ली। नरेंद्रनगर, बडकोट, हरबर्टपुर, गौचर निकायों में वह बागियों को मनाने में भाजपा कामयाब रही। देहरादून, हरिद्वार, हल्द्वानी, काशीपुर नगर निगम में मेयर पद पर सहज है।
पार्टी की डैमेज कंट्रोल की कोशिशें कामयाब रहीं। ऋषिकेश समेत कई निकायों में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के कहने पर पार्टी की विचारधारा से जुड़े प्रत्याशियों ने नामांकन वापस लिए। नामांकन वापसी के बाद भी रूठों को मनाने की कोशिशें जारी रहेंगी। इसके बावजूद कोई नहीं मानेगा तो उसके खिलाफ अनुशासात्मक कार्रवाई की जाएगी।- अजय भट्ट, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा
पार्टी से निष्कासित होंगे बागी
निकाय चुनाव में भाजपा के अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले बागियों पर निष्कासन की तलवार चलेगी। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ. देवेंद्र भसीन दावा किया कि प्रदेश में अधिकांश निकायों में अनधिकृत प्रत्याशियों ने पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में नामांकन वापस लिए हैं। उन्होंने कहा कि मैदान में डटे बागियों का भाजपा के चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा। बागियों के खिलाफ तत्काल निष्कासन की कार्रवाई की जाएगी।
कांग्रेस बागी संकट : कहीं टला तो कहीं बरकरार
नगर निकाय चुनाव में कांग्रेस में बागियों से उपजा संकट कहीं टल गया है, तो कहीं अब भी जस का तस है। कांग्रेस को सबसे बड़ी राहत नगर निगमों में मिली है, जहां पर अब उसका कोई बागी उम्मीदवार चुनाव मैदान में नहीं है। इसी तरह कई नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायतों में कांग्रेस अपने बागियों को मनाने में कामयाब रही है, लेकिन कई जगह उसके बाकी चुनाव मैदान में पूरी ताकत से डटे हैं। कांग्रेस ने दावा किया है कि उसके ज्यादातर बागी उम्मीदवार चुनाव मैदान से हट गए हैं।
नगर निगम हरिद्वार को लेकर कांग्रेस सबसे ज्यादा चिंतित थी, जहां पर उसके अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ दो कांग्रेस नेत्री मैदान में थीं। इनमें से एक ने रणनीतिक तौर पर नामांकन कराया था, जबकि पूनम भगत बगावत कर चुनाव लड़ रही थी। दोनों ने ही नामांकन वापस ले लिया है। कोटद्वार नगर निगम में रणनीतिक तौर पर नामांकन कराने वाली कांग्रेस नेत्री गीता नेगी भी चुनाव मैदान से हट गई हैं।
कांग्रेस के लिए ये भी राहत की खबर रही कि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के भाई सचिन उपाध्याय भी देहरादून नगर निगम के चुनाव से हट गए हैं। हालांकि पार्टी का कहना था कि वे कांग्रेस के सदस्य नहीं हैं, इसके बावजूद वे मेयर पद पर बने रहते, तो पार्टी को नुकसान हो सकता था।
इन स्थितियों के बीच, कांग्रेस ने टिहरी में पूर्व ब्लाक प्रमुख विजयलक्ष्मी थलवाल को मनाने में कामयाबी हासिल की है। मगर यहां अध्यक्ष पद के अन्य अन्य बागियों को लेकर स्थिति साफ नहीं हो पाई है। टिहरी के अन्य नगर निकायों में भी कांग्रेस के बागी किसी न किसी रूप में उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।
इसी तरह, जोशीमठ में सामूहिक इस्तीफा देकर चुनाव मैदान में उतरने वाले अध्यक्ष और सभासद पद पर बागियों का कांग्रेस कोई हल नहीं खोज पाई है। हरिद्वार के शिवालिक नगर निकाय में कांग्रेस के बागी किरण सिंह अब भी मैदान में डटे हुए हैं। हालांकि प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना का कहना है कि सभी प्रमुख स्थानों पर कांग्रेस के बागी मान गए हैं। पार्टी नगर निकाय में सबको साथ लेकर बेहतरीन प्रदर्शन करेगी।