दुनियाभर में धूम मचा रहे ‘मोटू-पतलू’, इस शहर में लिखी जा रही है कहानी
मम्मी, टीवी ऑन करो न, मोटू-पतलू आने वाला है। कुछ इस तरह की बात रोजाना घर-घर में सुनाई देते हैं। बच्चों से लेकर बड़ों का मोटू-पतलू पसंदीदा शो बन गया है। दीवानगी इतनी हद तक है कि बाजार में खिलौने तक मोटू-पतलू के नाम से मिलते हैं।
1975 के दशक में आई केतन पांडेय की कामिक्स मोटू-पतलू को टीवी के परदे तक रायपुर के नीरज विक्रम ने पहुंचाया। दोनों ही कार्टून किरदारों की कहानी फिर से सिविल लाइन के रहने वाले नीरज ने लिखी। हाल अब ये है कि कार्टून सीरियल की दुनिया में मोटू-पतलू अपना परचम लहरा रहा है। चारों ओर बस मोटू-पतलू की बच्चों के बीच धूम दिखाई देती है।
कौन हैं नीरज विक्रम
छत्तीसगढ़ कॉलेज के लॉ के छात्र नीरज विक्रम ने वकालत का कोर्स तो कर लिया, लेकिन फिल्मी दुनिया से लगाव उन्हें मुंबई खींच लाया। वहां पहुंच कर उन्होंने कई स्टोरी लिखी। इसमें शकालका बूम-बूम, सोनपरी जैसी बच्चों से जुड़ी कहानियां लिखीं। अत्यधिक सफलता मिली मोटू और पतलू से।
कॉमिक्स में किया बदलाव
निर्देशक नीरज ने बताया कि कॉमिक्स की कहानी में बदलाव किया। इसमें इस्पैक्टर चिंगम और डॉ. झटका का किरदार डाला, जो बच्चों से लेकर बड़ोंं को भी पसंद आ रहा है। उन्होंने बताया कि 20 साल के कॅरियर में मैंने बच्चों से जुड़ी कहानियां ज्यादा लिखीं, ताकि उनके मनोरंजन का साधन बना रहे।