मलेरिया से बचाने के लिए आ गया दुनिया का पहला टीका
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सोमवार को तीन अफ्रीकी देशों को मलेरिया का टीका दी जाने की घोषणा की है.ये देश- घाना, केन्या और मलावी हैं. इस टीका का वितरण 2018 में शुरू होगा. ‘आरटीएस,एस टीका’ का यह टीका शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मलेरिया परजीवी के खिलाफ तैयार करेगा. यह टीका चार बार दिए जाने की जरूरत है. तीन महीनों तक महीने में एक बार और इसके बाद चौथी खुराक 18 महीने बाद दी जानी है. आपको बता दें
मलेरिया क्या है?
मलेरिया एक ऐसी बीमारी है, जो परजीवी रोगाणु की वजह से होती है. ये रोगाणु इतने छोटे होते हैं कि हम इन्हें देख नहीं सकते. मलेरिया के लक्षण हैं बुखार, कँपकँपी, पसीना आना, सिरदर्द, शरीर में दर्द, जी मचलना और उल्टी होना. फ्रीका में हर मिनट एक बच्चे की मलेरिया से मौत हो जाती है.
आप मलेरिया से अपना बचाव कैसे कर सकते हैं?
मच्छर-दानी लगाकर सोएं और ध्यान रखें कि
उस पर मच्छर मारनेवाली दवा लगी हो.
उसमें कोई छेद न हो और वह कहीं से फटी न हो.
वह अच्छी तरह लगी हो, ताकि मच्छर अंदर न आएँ.
घर के अंदर मच्छर मारनेवाली दवा छिड़कें
घर के दरवाज़ों और खिड़कियों पर जाली लगाएँ और ए.सी. और पंखों का इस्तेमाल करें, ताकि मच्छर एक जगह पर न बैठें.
हलके रंग के कपड़े पहनिए जिनसे आपका शरीर पूरी तरह ढका हो.
ऐसी जगह पर मत जाइए, जहाँ झाड़ियाँ हों क्योंकि वहाँ बहुत मच्छर होते हैं, या जहाँ पानी इकट्ठा हो क्योंकि वहाँ मच्छर पनपने का खतरा होता है.
क्या आपको पता है?
अगर बच्चों या गर्भवती स्त्रियों को मलेरिया हो जाए, तो यह उनके लिए और भी खतरनाक हो सकता है.
अफ्रीका में हर मिनट एक बच्चे की मलेरिया से मौत हो जाती है.
कुछ मामलों में खून चढ़वाने से लोगों को मलेरिया हो गया है.
आयुर्वेदिक इलाज से दूर भगाएं मलेरिया
आयुष-चौंसठ : आयुष-चौंसठ दवा विशेषकर मलेरिया के उपचार के लिए प्रयोग में ली जाती है. यह कैप्सूल के रूप में होती है जिसे मरीज को इलाज और बचाव दोनों के लिए देते हैं.
नीम : नीम या सप्तपर्ण पेड़ की छाल का काढ़ा बनाकर भी पीया जा सकता है. इसके लिए 10 ग्राम छाल को आधा गिलास पानी में 1/4 होने तक उबालें और छानकर गुनगुना पिएं. आयुर्वेद विशेषज्ञ मरीज की स्थिति के अनुसार कई तरह की वटी, गिलोय सत्व व ज्वर को हरने वाले रस भी देते हैं. इस तरह की दवाओं को सुबह व शाम हल्के गर्म पानी के साथ लेने से लाभ होता है.
तुलसी : रोग के लक्षणों को कम करने के लिए तुलसी या हरसिंगार की पत्तियों का रस और शहद (दोनों 1-1 ग्राम की मात्रा में) को मिलाकर सुबह और शाम लें.
कैसा हो मलेरिया में खान-पान
– चाय, कॉफी व दूध लें. चाया में तूलसी के पत्तें काली मिर्च, दालचीनी या अदरक डाल कर पियें.
– मलेरिया के रोगी को सेब खिलाएं, यह मलेरिया में फायदा करता है.
– पीपल का चूर्ण बनाकर शहद मिलाकर सेवन करने से मलेरिया के बुखार में लाभ होता है.
– दाल-चावल की खिचड़ी, दलिया, साबूदाना का सेवन करें. ये पचने में आसान होते हैं और पोष्टिक भी होते हैं.
– नीबू को काटकर उस पर काली मिर्च का चूर्ण व सेंधा नमक डालकर चूसें, स्वाद ठीक होगा और फायदा भी पहुंचेगा.
– मलेरिया ज्वर में अमरूद खाने से रोगी को लाभ होता है.
– तुलसी के पत्ते व काली मिर्च को पानी में उबालकर, छानकर पिएं.
मलेरिया में क्या न खांए-
– ठंडा पानी बिल्कुल न पियें और ना ही ठंडे पानी से नहाएं.
– रोगी को आम, अनार, लीची, अनन्नास, संतरा आदि नहीं खाने चाहिए.
– ठंडी तासीर के फल व पदार्थ न खाएं.
– एसी में ज्यादा न रहें और न ही रात को एसी में सोएं.
– दही, शिकंजी, गाजर, मूली आदि न खाएं.
– मिर्च-मसाले व अम्ल रस से बने खाद्य पदार्थों का सेवन न करें.