
पेरिस के विश्व प्रसिद्ध लूव्र संग्रहालय में दिन-दहाड़े हुई एक सनसनीखेज चोरी ने फ्रांस को झकझोर कर रख दिया। महज चार मिनट में चोर 102 मिलियन डॉलर के अनमोल शाही आभूषण को लेकर नौ दो ग्यारह हो गए। ये आभूषण फ्रांस के गौरवशाली इतिहास का प्रतीक है।
नीलम, पन्ना और हीरे से जड़े ये आभूषण अब शायद कभी न मिलें, क्योंकि विशेषज्ञों का मानना है कि चोर इन्हें तोड़कर गुपचुप तरीके से बेच सकते हैं। यह चोरी महज एक आर्थिक नुकसान नहीं है, बल्कि फ्रांस की सांस्कृतिक धरोहर पर गहरा आघात है।
क्या है आभूषण की खासियत?
चोरी में 19वीं सदी के आठ बेशकीमती आभूषण गायब हुए। इनमें पन्ना और हीरे की माला, दो ताज, दो ब्रोच, एक नीलम की माला और एक झुमका शामिल हैं। ये आभूषण फ्रांस के शाही परिवार की शान थे। 1887 में जब सरकार ने शाही रत्नों की नीलामी की तब इन आभूषणों को खास तौर से बचाया गया था, क्योंकि ये फ्रांस की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा थे।
फिल्मी स्टाइल में चोरी
यह चोरी रविवार सुबह 9:34 बजे हुई, जब दो लोग पीले जैकेट पहनकर लूव्र की अपोलो गैलरी में घुसे और चार मिनट में कीमती आभूषण चुराकर मोटरबाइक पर फरार हो गए। पेरिस अभियोजक लॉर बेक्यू ने बताया कि चार चोरों ने दो-दो के गुट में बंटकर इस काम को अंजाम दिया। दो लोग चेरी पिकर ट्रक से गैलरी तक पहुंचे, जबकि दो अन्य मोटरबाइक से भागे। इस चोरी की शैली ने फ्रांस की टीवी सीरीज “ल्यूपिन” की याद की तरह है। इसमें एक चोर लूव्र से शाही ताज चुराता है।
चुराए गए आभूषणों में नेपोलियन तृतीय द्वारा एम्प्रेस यूजनी को दी गई 2,000 हीरों और 200 मोतियों वाली ताज, नेपोलियन बोनापार्ट द्वारा मैरी-लुईस को दी गई पन्ना और 1,000 हीरों की माला, और रानी मैरी-अमेली का नीलम-हीरे का हेडपीस शामिल हैं। चोरों ने एक क्षतिग्रस्त ताज छोड़ दिया, जिसमें 1,354 हीरे और 56 पन्ना थे।
कभी नहीं मिल सकेगा चुराया हुआ आभूषण
विशेषज्ञों का कहना है कि इन रत्नों को बरामद करना लगभग असंभव है। 77 डायमंड्स के टोबियास कोर्मिंड ने कहा, “ये आभूषण टुकड़ों में तोड़कर बेचे जा सकते हैं। इससे ये इतिहास से हमेशा के लिए गायब हो जाएंगे ” चोर इन्हें विदेशों में बेचकर रत्नों की पहचान बदल सकते हैं। डच कला विशेषज्ञ आर्थर ब्रांड ने बताया कि ये आभूषण इतने प्रसिद्ध हैं कि इन्हें बेचना आसान नहीं, क्योंकि कोई भी खरीदार जोखिम नहीं लेगा। लूव्र में पहले भी चोरी हुई है, लेकिन इस बार की घटना ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए।
2024 में मोना लिसा पर सूप फेंका गया था, और जून में कर्मचारियों की हड़ताल ने संग्रहालय को ठप किया था। सांसद मैक्सिम मिशेले ने इसे “राष्ट्र के पतन का प्रतीक” बताया और सरकार से सुरक्षा पर जवाब मांगा।