मोटापे से क्‍यों बढ़ जाता डायबिटीज और ब्लड प्रेशर का खतरा

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (द लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी, 2023) के अनुसार 35 करोड़ वयस्क पेट की चर्बी से परेशान हैं, जबकि 25 करोड़ लोगों का पूरा शरीर मोटा है। 21 करोड़ वयस्क हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या में है। ये आंकड़े समस्या के विकराल होने की पुष्टि करते हैं और जन-जन के स्वास्थ्य पर इसका प्रभाव दर्शाते हैं। आइए, डॉ. आशीष गौतम (सीनियर डायरेक्टर – जनरल, लेप्रोस्कोपिक और रोबोटिक सर्जरी, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, पटपड़गंज, दिल्ली) से जानते हैं इस विषय से जुड़ी कुछ जरूरी बातें। मोटापे और डायबिटीज से खतरा अत्यधिक फैट होने से ऐसे कैमिकल रिलीज होते हैं जो शरीर को इंसुलिन के प्रति कम सक्रिय कर देते हैं। यह समस्या खास कर पेट के हिस्से में फैट बढ़ने से होती है। ऐसे में कोशिकाओं के लिए ग्लूकोज एब्जॉर्व करना कठिन हो जाता है। परिणामस्वरूप ब्लड शुगर लेवेल बढ़ जाता है और टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है। सेहत के लिए शरीर के बीच वाले भाग या पेट का मोटापा बढ़ना विशेष रूप से हानिकारक है और मेटाबॉलिज्म की समस्या से भी इसका गहरा संबंध है। बच्चों में भी मोटापा बढ़ रहा है। भारत में 14.4 मिलियन से अधिक बच्चे मोटे हैं। यह संख्या चीन को छोड़कर किसी भी अन्य देश से अधिक है (जीबीडी ओबेसिटी कोलैबोरेटर्स, 2017)। मोटे बच्चों को डायबिटीज का ज्यादा खतरा है। अन्य स्वास्थ्य समस्याएं, जो लंबे समय में परेशान करती हैं, जैसे हृदय रोग और सांस लेने में तकलीफ आदि की संभावना भी अधिक है। हाई ब्लड प्रेशर और मोटापा ज्यादा वज़न होने से ब्लड प्रेशर बढ़ता है। परिणामस्वरूप हृदय को अधिक काम करना पढ़ता है और शरीर में खून की मात्रा बढ़ जाती है। फैट सेल्स की वजह से उत्पन्न रसायन खून की नलियों को संकीर्ण बनाता है, जिससे ब्लड प्रेशर और भी बढ़ जाता है। ब्लड प्रेशर बढ़ने से कई जानलेवा बीमारियों का खतरा बढ़ता है, जैसे दिल का दौरा, स्ट्रोक, किडनी की समस्याएं और अन्य गंभीर बीमारियां। पेट का मोटापा सबसे अधिक हानिकारक है, क्योंकि इसका सूजन और मेटाबॉलिज्म की समस्याओं से भी संबंध है। भारत में क्यों बढ़ रहा है लोगों का वजन? एक बड़ी वजह लोगों का शहरों की ओर पलायन और वहां शारीरिक काम-व्यायाम नहीं करना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट कहती है कि भारत की आधी आबादी पर्याप्त व्यायाम नहीं करती है। दूसरी वजह सही आहार नहीं लेना है। आज बाजार में प्रोसेस्ड और अल्ट्रा प्रोसेस्ड चीजों की भरमार है, जो कम कीमतों पर हर जगह मिलती हैं। इनमें कैलोरी अधिक लेकिन न्यूट्रिशन कम होता है। ये रुझान कोविड-19 के दौर में और बढ़ गए। लोगों का कहीं आना-जाना रुक गया, पार्क और जिम बंद हो गए और वे घर के अंदर रहने लगे। बच्चे और बड़े सभी की एक्टिविटी कम हो गई और वजन बढ़ गया। मोटापे से बचने के लिए लाइफस्टाइल बदलना है जरूरी मोटापे से बचने के लिए सबसे पहले सही पोषण और व्यायाम पर ध्यान देना होगा। आहार में संतुलन के लिए फल, सब्जियां, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन लेने से वजन सही रखने में मदद मिल सकती है। प्रोसेस्ड फूड कम से कम लेना और खाने की मात्रा का ध्यान रखना भी जरूरी है। नियमित व्यायाम करने से हार्ट हेल्दी रहता है, कैलोरी बर्न होती है और इंसुलिन बेहतर ढंग से काम करता है। यहां तक कि तेज कदम चलना, साइकिल चलाना या फिर घर पर साधारण व्यायाम करना भी ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर कम करने में सहायक हैं। बैरियाट्रिक सर्जरी बहुत-से लोग तमाम उपाय कर के भी मोटापा से छुटकारा नहीं पाते हैं। उन्हें निराश होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि उनके लिए बैरियाट्रिक सर्जरी एक अच्छा विकल्प है। ज्यादा वजन हो या इससे जुड़ी अन्य स्वास्थ्य समस्याएं, वे बैरियाट्रिक सर्जरी करा सकते हैं। अगर किसी व्यक्ति का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 32 से अधिक हो और डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर भी हो, तो सर्जरी करा लेने के कई फायदे हैं। बहुत गंभीर मामलों में बीएमआई 35 से अधिक होना चाहिए। रोबोटिक सर्जरी अधिक सटीक होती है। इसमें चीरे बहुत कम लगते हैं। इसलिए यह अधिक सुरक्षित भी है। इसमें खून कम निकलता है और मरीज जल्द ठीक होता है। दो प्रोसिड्योर – स्लीव गैस्ट्रेक्टोमी और गैस्ट्रिक बाईपास से पेट छोटा हो जाता है और उस हार्मोन में भी बदलाव आता है जिससे तेज भूख महसूस होती है। इसके बाद कई मरीज कुछ ही दिनों में ब्लड शुगर में सुधार महसूस करते हैं और कभी-कभी तो वजन कम होने से पहले ही यह महसूस करते हैं। लंबी अवधि के अध्ययन जैसे कि एआरएमएमएस-टी2डी और स्टैम्पीड बताते हैं कि वजन कम कर लेने वाले लोगों का ब्लड शुगर कंट्रोल बेहतर होता है और दवा की जरूरत भी कम होती है (शॉअर पीआर एट अल., न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन)।
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