17 घंटे से हो रही बारिश का कहर, हाईवे और सड़कें बाधित, केदारनाथ यात्रा छह घंटे रोकी
उत्तराखंड में पिछले 17 घंटों से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने पूरे राज्य में कहर बरपाया है और जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है। भूस्खलन, सड़क धंसने और पेड़ गिरने से कई प्रमुख हाईवे और ग्रामीण सड़कें बंद हो गई हैं। जिससे यात्रियों, शिक्षकों और छात्रों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
रविवार रात्रि से सोमवार सुबह तक हुई बारिश के कारण केदारनाथ धाम की यात्रा भी करीब छह घंटे तक रोकनी पड़ी। इस दौरान करीब 4000 यात्रियों को सोनप्रयाग में रोका गया। बारिश के चलते रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे और गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग कई जगहों पर संवेदनशील हो गया है।
कहां क्या हुआ
बदरीनाथ हाईवे: गोपेश्वर में भनेरपाणी और कर्णप्रयाग में उमट्टा भूस्खलन क्षेत्र में मलबा आने से बदरीनाथ हाईवे पर कई घंटे तक आवाजाही बाधित रही। इस दौरान लगभग 1000 तीर्थयात्रियों और 3 स्कूल बसों सहित 60-70 वाहन फंसे रहे।
पौड़ी नेशनल हाईवे: कोटद्वार और गुमखाल के बीच पांच जगहों पर मलबा गिरने से हाईवे साढ़े चार घंटे तक बंद रहा। इसके कारण शिक्षक, कर्मचारी और छात्र अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच पाए।
ऋषिकेश-गंगोत्री हाईवे: नरेंद्रनगर के पास एक नाले में उफान आने से यह हाईवे लगभग साढ़े चार घंटे तक बंद रहा। मलबा आने से एक कार भी फंस गई।
यमुनोत्री हाईवे: स्यानाचट्टी के पास सड़क का करीब 25 मीटर हिस्सा धंस गया, जिससे आवाजाही बंद हो गई। ओजरी डाबरकोट और पालीगाड में भी मलबा गिरने से सड़क बाधित रही।
अन्य सड़कें: कर्णप्रयाग-पोखरी मार्ग पर पेड़ गिरने से सड़क साढ़े तीन घंटे तक बंद रही। लक्ष्मणझूला-दुगड्डा-धुमाकोट स्टेट हाईवे सहित 8 से अधिक ग्रामीण सड़कें भी भूस्खलन और पेड़ गिरने से ठप हो गईं।
टिहरी झील और नदियां उफान पर
बारिश के कारण टिहरी झील का जलस्तर एक मीटर प्रतिदिन बढ़ रहा है। वहीं, कोटद्वार में खोह नदी उफान पर रही, जिससे एक सुरक्षा दीवार का 5 मीटर हिस्सा ढह गया। पुरोला क्षेत्र में बायां खड्ड और कमल नदी के उफान से खेतों में पानी घुस गया, जिससे फसलें बर्बाद होने की आशंका है। प्रतापनगर क्षेत्र में भूस्खलन से 10 परिवारों के घर खतरे की जद में आ गए हैं। प्रशासन ने प्रभावितों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने के निर्देश दिए हैं।