‘नहीं करेंगे ओबामा जैसा समझौता’, ईरान के साथ बातचीत पर बोले डोनाल्ड ट्रंप

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि परमाणु समझौते के लिए वह ईरान को कुछ नहीं देने जा रहे हैं। ईरान के साथ पूर्व राष्ट्रपति ओबामा जैसा कोई समझौता नहीं करेंगे जिसमें मूर्खतापूर्ण तरीके से ईरान को परमाणु हथियार बनाने के लिए मौका दिया गया।

ट्रंप ने कहा, ईरान के साथ तभी वार्ता होगी जब वह अपने परमाणु संयंत्रों को खत्म करने की शर्त पर तैयार होगा। इस बीच ईरान के उप विदेश मंत्री साजिद तख्त रवांची ने कहा है कि ईरान अमेरिका के साथ वार्ता के लिए तैयार है लेकिन पहले वह यह भरोसा चाहता है कि अमेरिकी सेना फिर से ईरान पर हमला नहीं करेगी।

‘ईरान का परमाणु कार्यक्रम कई साल पीछे गया’
अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआइए के प्रमुख जान रेटक्लिफ ने कहा है कि अमेरिका के हमले के बाद ईरान का परमाणु कार्यक्रम वर्षों पीछे चला गया है। सीआइए प्रमुख ने यह बात पिछले सप्ताह अमेरिकी सांसदों की समिति के समक्ष कही। सीआइए प्रमुख का यह बयान अमेरिकी रक्षा मंत्रालय की खुफिया रिपोर्ट से अलग है जिसमें कहा गया है कि हमलों से ईरानी परमाणु कार्यक्रम बर्बाद नहीं हुआ है।

इजरायल से युद्ध में 935 ईरानी मारे गए
इजरायल के साथ 12 दिन के युद्ध में ईरान के 935 लोग मारे गए जिनमें 38 बच्चे और 132 महिलाएं थीं। यह जानकारी ईरानी न्यायपालिका के प्रवक्ता असगर जहांगीर ने दी है। केवल तेहरान की एविन जेल में ही इजरायली हमले में 79 लोग मारे गए। जबकि ईरानी हमलों में इजरायल में 28 लोग मारे गए हैं।

आइएईए पर ईरानी रुख की यूरोप ने की निंदा
ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आइएईए) को धमकाने की ईरानी कोशिशों की निंदा की है। तीनों यूरोपीय देशों की यह प्रतिक्रिया ईरान के कट्टरपंथी अखबार में हुए इस एलान के बाद आई है जिसमें कहा गया है कि आइएईए प्रमुख रफाएल ग्रोसी के साथ इजरायली एजेंट की तरह व्यवहार किया जाए और उन्हें पकड़कर फांसी दे दी जाए। तीनों देशों ने आइएईए के महानिदेशक के प्रति पूर्ण समर्थन की घोषणा की है।

ईरान सरकार से कहा है कि वह आइएईए विरोधी रुख में बदलाव लाए। विदित हो कि 2015 में ईरान के साथ हुए अंतरराष्ट्रीय परमाणु समझौते में ये तीनों देश शामिल हैं। अमेरिका के हटने के बावजूद यह समझौता अभी प्रभावी है।

E-Paper