ब्रह्मोस मिसाइल से लैस… समंदर में आज उतरेगा दुश्मन का काल ‘तमाल’
आज भारतीय नौसेना के लिए एक ऐतिहासिक दिन है, क्योंकि रूस के कालिनिनग्राद में एक शक्तिशाली स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट INS तमाल को भव्य समारोह में कमीशन किया जा रहा है। इस कमीशनिंग समारोह में पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वीएडीएम संजय जे. सिंह मुख्य अतिथि होंगे। भारत और रूस के कई बड़े रक्षा अधिकारी भी इस मौके पर मौजूद रहेंगे।
इस युद्धपोत का नाम ‘तमाल’ है। तमाल पौराणिक कथाओं में देवराज इंद्र की तलवार का प्रतीक है। यह जहाज न सिर्फ भारत-रूस की दोस्ती का प्रतीक है, बल्कि समुद्री सरहदों की रक्षा में नया कीर्तिमान स्थापित करेगा।
125 मीटर लंबा और 3,900 टन वजनी यह फ्रिगेट पश्चिमी नौसेना कमान के अधीन अरब सागर और पश्चिमी हिंद महासागर में तैनात होगा। यह क्षेत्र कराची के नजदीकी जलक्षेत्र से लेकर भारत के पश्चिमी तट तक फैला है। तमाल में 26 फीसदी से ज्यादा स्वदेशी सिस्टम हैं, जिनमें ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल शामिल है। यह जमीन और समुद्र दोनों पर निशाना साध सकती है।
शक्तिशाली हथियारों से लैस तमाल
तमाल में ‘श्टिल’ वर्टिकल लॉन्च एयर डिफेंस सिस्टम है, जिसमें वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट-रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल (VLSRAAM) और मीडियम-रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (MRSAM) शामिल हैं। ये सिस्टम क्रूज मिसाइलों, हेलिकॉप्टरों, बैलिस्टिक खतरों और समुद्री और तटीय ठिकानों को निशाना बना सकते हैं।
इसके अलावा, ‘ए-190-01’ 100 मिलीमीटर नेवल तोप और एके-630 30 मिलीमीटर क्लोज-इन वेपन सिस्टम (CIWS) इसे ड्रोन्स और एंटी-शिप मिसाइलों से बचाने में सक्षम हैं। CIWS प्रति मिनट 5,000 राउंड तक फायर कर सकता है।
यह युद्धपोत हवा में निगरानी करने वाले और बहु-उद्देश्यीय हेलिकॉप्टरों जैसे कामोव-28 (पनडुब्बी रोधी युद्ध) और कामोव-31 (हवाई निगरानी) को संचालित करने में सक्षम है।
नौसेना के सूत्रों के मुताबिक, तमाल में नेटवर्क-केंद्रित युद्ध की सुविधाएं और उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली हैं, जो इसे हर स्थिति में प्रभावी बनाती हैं।
तेज रफ्तार, लंबी मारक क्षमता के साथ-साथ और क्या है?
तमाल की रफ्तार 30 नॉट्स से ज्यादा है और यह 450 किलोमीटर तक की दूरी पर लक्ष्य भेदने वाली लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों से लैस है। इसका अगली पीढ़ी का इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल/इन्फ्रारेड (EO/IR) सिस्टम दिन-रात लक्ष्य को ट्रैक करने में मदद करता है। पनडुब्बी रोधी युद्ध के लिए इसमें हेवीवेट टॉरपीडो और RBU-6000 रॉकेट लॉन्चर हैं। इसके साथ ही, DRDO और BEL की ओर विकसित स्वदेशी HUMSA NG MK-II हल माउंटेड सोनार सिस्टम इसे और घातक बनाता है।
तमाल में 33 से ज्यादा स्वदेशी सिस्टम हैं, जिनमें ब्रह्मोस एयरोस्पेस, BEL, केलट्रॉन, टाटा की नोवा इंटीग्रेटेड सिस्टम्स और जॉनसन कंट्रोल्स इंडिया जैसे बड़े भारतीय ब्रांड शामिल हैं।
यह जहाज निगरानी, फायर-कंट्रोल रडार और कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम से लैस है। यह इसे हर तरह के ऑपरेशन में बेहतर बनाता है।
भारत और रूस की दोस्ती का प्रतीक बन गया तमाल
तमाल को रूस के यांतर शिपयार्ड में बनाया गया है और यह भारतीय नौसेना का आखिरी विदेशी निर्मित युद्धपोत है। 2016 में भारत और रूस के बीच 21,000 करोड़ रुपये का समझौता हुआ था, जिसमें चार स्टील्थ फ्रिगेट्स के निर्माण की बात थी।
तमाल और तुशिल को रूस में 8,000 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया, जबकि बाकी दो जहाज (त्रिपुट क्लास) गोवा शिपयार्ड में 13,000 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे हैं।
इन चारों के कमीशन होने के बाद, भारतीय नौसेना के पास चार अलग-अलग लेकिन एक-दूसरे से मिलते-जुलते क्लास के दस फ्रिगेट्स होंगे।
तमाल के 250 से ज्यादा क्रू मेंबर्स ने सेंट पीटर्सबर्ग और कालिनिनग्राद में कठिन प्रशिक्षण लिया है, जिसमें ठंडे मौसम में ट्रायल, समुद्री युद्ध सिमुलेशन और लाइव हथियार फायरिंग शामिल थी। तीन महीने के समुद्री परीक्षणों में इसके हथियारों, सेंसरों और सिस्टम्स को पूरी तरह परखा गया।
जाम्बवंत हैं तमाल का शुभंकर
तमाल का नाम देवराज इंद्र की युद्ध तलवार से प्रेरित है। इसका शुभंकर भारतीय पौराणिक कथाओं के भालू राजा ‘जाम्बवंत’ और रूसी यूरेशियन भूरे भालू से लिया गया है। चालक दल खुद को ‘द ग्रेट बियर्स’ कहकर गर्व महसूस करता है।