भारतीय नौसेना में शामिल हुआ युद्धपोत ‘अर्णाला’, निगरानी और बचाव कार्यों के लिए किया गया है डिजाइन

भारत की तटीय रक्षा क्षमताओं को बढ़ावा देते हुए नौसेना ने बुधवार को विशाखापत्तनम डॉकयार्ड में भारत के पहले स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित एंटी सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (एएसडब्ल्यू-एसडब्ल्यूसी) आइएनएस अर्णाला को शामिल किया।

इस कार्यक्रम में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ भी रहे शामिल
इस समारोह की अध्यक्षता चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने की। कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स द्वारा निर्मित आइएनएस अर्णाला तटीय रक्षा को बढ़ाने के लिए विकसित किए जा रहे एएसडब्ल्यू-एसडब्ल्यूसी की श्रृंखला में पहला है। इस तरह के कुल 16 पनडुब्बी रोधी युद्ध पोतों के निर्माण होने हैं।

इसका नाम महाराष्ट्र के वसई के ऐतिहासिक अर्णाला किले के नाम पर रखा गया है। यह युद्धपोत 77 मीटर लंबा है। इसका सकल भार 1490 टन से अधिक है। यह डीजल इंजन-वाटरजेट संयोजन द्वारा संचालित होने वाला सबसे बड़ा भारतीय नौसैनिक युद्धपोत है।

समुद्री अभियान के लिए डिजाइन किया गया है
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह निगरानी, खोज और बचाव कार्यों और कम तीव्रता वाले समुद्री अभियान के लिए डिजाइन किया गया है।
इसका आदर्श वाक्य अर्णवे शौर्यम या महासागर में वीरता इसके चालक दल के साहस को दर्शाता है।

इसका नाम महाराष्ट्र के वसई के ऐतिहासिक अर्णाला किले के नाम पर रखा गया है। यह युद्धपोत 77 मीटर लंबा है। इसका सकल भार 1490 टन से अधिक है। यह डीजल इंजन-वाटरजेट संयोजन द्वारा संचालित होने वाला सबसे बड़ा भारतीय नौसैनिक युद्धपोत है।

समुद्री अभियान के लिए डिजाइन किया गया है
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह निगरानी, खोज और बचाव कार्यों और कम तीव्रता वाले समुद्री अभियान के लिए डिजाइन किया गया है। इसका आदर्श वाक्य अर्णवे शौर्यम या महासागर में वीरता इसके चालक दल के साहस को दर्शाता है।

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