चुनाव हारे लेकिन अभी राष्ट्रपति पद नहीं छोड़ेंगे यामीन

मालदीव में राष्ट्रपति चुनाव नतीजे की औपचारिक घोषणा से पहले ही निवर्तमान राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन अब्दुल गयूम ने अपनी हार तो स्वीकार कर ली, लेकिन वह फिलहाल राष्ट्रपति पद छोड़ने को तैयार नहीं हैं. यामीन ने दलील दी है कि उनका कार्यकाल 17 नवंबर को पूरा होगा और तब तक वो पद पर बने रहेंगे.मालदीव में राष्ट्रपति चुनाव नतीजे की औपचारिक घोषणा से पहले ही निवर्तमान राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन अब्दुल गयूम ने अपनी हार तो स्वीकार कर ली, लेकिन वह फिलहाल राष्ट्रपति पद छोड़ने को तैयार नहीं हैं. यामीन ने दलील दी है कि उनका कार्यकाल 17 नवंबर को पूरा होगा और तब तक वो पद पर बने रहेंगे.  यामीन के इस कदम से ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि वो इन 50 दिनों में अपने व्यापारिक समझौते से जुड़े कागजात छिपा सकते हैं और अपने खिलाफ जाने वाले सबूतों को मिटा सकते हैं. उनपर राजनेताओं के जेल भेजने से लेकर असहमति की आवाज को दबाने के आरोप हैं. हालांकि खुद यामीन का कहना है कि उन्होंने यह वक्त सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण के लिए लिया है.  पूरा करूंगा कार्यकाल  रविवार को हुए चुनाव में विपक्षी उम्मीदवार इब्राहीम मोहम्मद सोलिह को 58.3 प्रतिशत वोट मिलने के बाद यामीन ने अपने संबोधन में कहा था कि उन्हें हार स्वीकार है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा, 'मैं सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण सुनिश्चित करूंगा.’  इससे पहले ऐसी अटकलें थीं कि ढांचागत विकास के लिए चीन से करोड़ों डॉलर का कर्ज लेने वाले यामीन चुनाव नतीजों को स्वीकार नहीं करेंगे. यामीन ने अपनी हार के बाद कहा,‘मालदीव के लोगों ने तय कर लिया है कि उन्हें क्या चाहिए. मैंने नतीजों को स्वीकार कर लिया है, मैं इब्राहीम सोलिह से मिला, जिन्हें मालदीव के मतदाताओं ने अगले राष्ट्रपति के रूप में चुना है. मैंने उन्हें बधाई दी.’  इससे पहले करीब 97 प्रतिशत वोटों की गिनती होने के बाद 56 वर्षीय सोलिह ने अपनी जीत का दावा करते हुए कहा था कि यह प्रसन्नता, आशा और इतिहास बनाने का वाला क्षण है. हालांकि, सोलिह का कहना है कि चुनाव प्रक्रिया गड़बड़ियों से पूरी तरह मुक्त नहीं थी.  चुनाव में धांधली का शक  सोलिह को मिली जीत से सभी आश्चर्यचकित हैं क्योंकि चुनाव प्रचार के दौरान वहां मौजूद पर्यवेक्षकों का आरोप था कि निवर्तमान राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन अब्दुल गयूम ने अपनी जीत पक्की करने के लिए धांधली की है. सोलिह की जीत की घोषणा होने के साथ ही सड़कें विपक्ष के समर्थकों से भर गईं. सभी अपने हाथों में सोलिह की मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के पीले झंडे लिये नाच रहे थे और एक-दूसरे को बधाई देते दिखे.  मालदीव के मानवाधिकार आयोग के पूर्व सदस्य अहमद थोलाल का कहना है, लोगों को ऐसे परिणाम की आशा नहीं थी. तमाम दबावों के बावजूद लोगों ने अपनी बात रखी है.  यामीन ने विरोध को दबाया  मालदीव में दशकों तक रही तानाशाही के दौरान लोकतंत्र के लिए लड़ने वाले सोलिह एक वक्त पर संसद में बहुमत के नेता भी रहे हैं. गौरतलब है कि यामीन सरकार की ओर से एमडीपी के सभी शीर्ष नेताओं को जेल में डाले जाने या निर्वासित किये जाने के बाद सोलिह राष्ट्रपति चुनाव के लिए पार्टी के उम्मीदवार बने थे.  मालदीव के चुनाव आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि आधिकारिक चुनाव परिणाम की घोषणा शनिवार तक नहीं की जाएगी. सभी दलों और उम्मीदवारों को चुनाव परिणाम को अदालत में चुनौती देने के लिए एक सप्ताह का समय दिया जा रहा है

यामीन के इस कदम से ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि वो इन 50 दिनों में अपने व्यापारिक समझौते से जुड़े कागजात छिपा सकते हैं और अपने खिलाफ जाने वाले सबूतों को मिटा सकते हैं. उनपर राजनेताओं के जेल भेजने से लेकर असहमति की आवाज को दबाने के आरोप हैं. हालांकि खुद यामीन का कहना है कि उन्होंने यह वक्त सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण के लिए लिया है.

पूरा करूंगा कार्यकाल

रविवार को हुए चुनाव में विपक्षी उम्मीदवार इब्राहीम मोहम्मद सोलिह को 58.3 प्रतिशत वोट मिलने के बाद यामीन ने अपने संबोधन में कहा था कि उन्हें हार स्वीकार है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा, ‘मैं सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण सुनिश्चित करूंगा.’

इससे पहले ऐसी अटकलें थीं कि ढांचागत विकास के लिए चीन से करोड़ों डॉलर का कर्ज लेने वाले यामीन चुनाव नतीजों को स्वीकार नहीं करेंगे. यामीन ने अपनी हार के बाद कहा,‘मालदीव के लोगों ने तय कर लिया है कि उन्हें क्या चाहिए. मैंने नतीजों को स्वीकार कर लिया है, मैं इब्राहीम सोलिह से मिला, जिन्हें मालदीव के मतदाताओं ने अगले राष्ट्रपति के रूप में चुना है. मैंने उन्हें बधाई दी.’

इससे पहले करीब 97 प्रतिशत वोटों की गिनती होने के बाद 56 वर्षीय सोलिह ने अपनी जीत का दावा करते हुए कहा था कि यह प्रसन्नता, आशा और इतिहास बनाने का वाला क्षण है. हालांकि, सोलिह का कहना है कि चुनाव प्रक्रिया गड़बड़ियों से पूरी तरह मुक्त नहीं थी.

चुनाव में धांधली का शक

सोलिह को मिली जीत से सभी आश्चर्यचकित हैं क्योंकि चुनाव प्रचार के दौरान वहां मौजूद पर्यवेक्षकों का आरोप था कि निवर्तमान राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन अब्दुल गयूम ने अपनी जीत पक्की करने के लिए धांधली की है. सोलिह की जीत की घोषणा होने के साथ ही सड़कें विपक्ष के समर्थकों से भर गईं. सभी अपने हाथों में सोलिह की मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के पीले झंडे लिये नाच रहे थे और एक-दूसरे को बधाई देते दिखे.

मालदीव के मानवाधिकार आयोग के पूर्व सदस्य अहमद थोलाल का कहना है, लोगों को ऐसे परिणाम की आशा नहीं थी. तमाम दबावों के बावजूद लोगों ने अपनी बात रखी है.

यामीन ने विरोध को दबाया

मालदीव में दशकों तक रही तानाशाही के दौरान लोकतंत्र के लिए लड़ने वाले सोलिह एक वक्त पर संसद में बहुमत के नेता भी रहे हैं. गौरतलब है कि यामीन सरकार की ओर से एमडीपी के सभी शीर्ष नेताओं को जेल में डाले जाने या निर्वासित किये जाने के बाद सोलिह राष्ट्रपति चुनाव के लिए पार्टी के उम्मीदवार बने थे.

मालदीव के चुनाव आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि आधिकारिक चुनाव परिणाम की घोषणा शनिवार तक नहीं की जाएगी. सभी दलों और उम्मीदवारों को चुनाव परिणाम को अदालत में चुनौती देने के लिए एक सप्ताह का समय दिया जा रहा है

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