क्‍या कांग्रेस से कमलनाथ, दिग्विजय और कांतिलाल भूरिया की होगी छुट्टी?

राहुल गांधी इन दिनों कांग्रेस संगठन को मजबूत करने की तैयारी में जुटे हैं। इसी क्रम में मंगलवार को वह मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के प्रवास पर आए और कांग्रेस संगठन सृजन अभियान की बैठक में शामिल हुए। बैठक में संगठन को मजबूत करने के टिप्स तो दिए। साथ ही उन बुजुर्ग नेताओं को नसीहत भी दे दी, जिन्होंने कांग्रेस के लिए अपनी जिंदगी गुजार दी।

राहुल गांधी ने घोड़ों की जो परिभाषा रची, उस हिसाब से बुजुर्ग नेता लंगड़े घोड़े हैं, जो दौड़ नहीं पा रहे हैं। ऐसे लंगड़े घोड़ों को अब रिटायर किया जाएगा। यदि राहुल के बयान के राजनीतिक मायने निकाले जाएं तो उनका इशारा कमल नाथ, दिग्विजय सिंह, कांतिलाल भूरिया और रामेश्वर नीखरा जैसे नेताओं की ओर माना जा रहा है।

मध्य प्रदेश कांग्रेस के ये दिग्गज इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के दौर से पार्टी में सक्रिय हैं और नेतृत्व भी कर रहे हैं। इन नेताओं को किनारा लगाने का अर्थ यह भी हुआ कि अब राहुल गांधी अपनी टीम बनाना चाहते हैं।

स्वाभाविक भी है कि राहुल गांधी की जितनी उम्र है, इन नेताओं का कांग्रेस में अनुभव उससे कहीं अधिक है। अब सवाल यह है कि इन दिग्गज नेताओं की उपयोगिता क्या समाप्त हो गई है?

क्‍या कहता है कांग्रेस का इतिहास?
कांग्रेस का इतिहास रहा है कि उसने सारे बुजुर्ग नेताओं को अंतिम समय में भी सहारा दिया है। इसके तमाम उदाहरण है। मध्य प्रदेश की ही बात करें तो आदिवासी नेत्री जमुना देवी को अंतिम सांस तक विधानसभा का नेता प्रतिपक्ष बनाकर रखा। अर्जुन सिंह की ही बात करें तो मध्य प्रदेश के बाद उन्हें केंद्र में मंत्री बनाकर रखा। कई बुजुर्ग नेताओं को उम्रदराज होने पर राज्यपाल जैसे पद दिए।

मध्य प्रदेश में रामेश्वर ठाकुर और रामनरेश यादव जैसे नेताओं के लिए यह पुरस्कार ही था कि जब उन्हें चलते-फिरते नहीं बनता था, तब कांग्रेस ने उन्हें संवैधानिक मुखिया की कुर्सी देकर जीवन भर की तपस्या का पारितोषिक दिया। अब राहुल गांधी का कदम ठीक इसके विपरीत दिखाई दे रहा है, जो संवेदनशीलता के पैमाने पर भी खरा नहीं उतरता है।

कैसा रहा उम्र का फार्मूला?
उम्र का फार्मूला किसी भी राजनीतिक दल में सफल नहीं रहा है। भाजपा ने भी इसे अपनाने का प्रयास किया, लेकिन बाद में उससे पल्ला झाड़ लिया। जाहिर है कि कमल नाथ हों या दिग्विजय सिंह जैसे नेता, इन्होंने कांग्रेस के लिए पूरा जीवन खपा दिया।

यह ठीक है कि अब नई पीढ़ी को संगठन सौंपना है, लेकिन अपने ही नेताओं को अपमानित कर पीढ़ी परिवर्तन ठीक निर्णय नहीं हो सकता है।
राहुल गांधी के प्रयास सही हैं, लेकिन बुजुर्ग नेता पार्टी की धरोहर हैं, उन्हें भी सम्मान का अधिकार है। ऐसे नेताओं को भले ही मुख्यधारा में न रखें, पर मार्गदर्शन के लिए उन्हें साथ रखने से पार्टी को ही लाभ होगा। राहुल गांधी ने जो भी कहा, उसकी प्रशंसा कांग्रेस कार्यकर्ता भी नहीं कर रहे हैं।

राहुल गांधी ने क्‍या कहा?
राहुल ने कहा-

हम ऐसे 55 नेता तैयार करेंगे, जो मध्य प्रदेश में कांग्रेस का भविष्य होंगे। यहां नेताओं की कमी नहीं है। इसी कमरे में भाजपा को हराने का टैलेंट बैठा हुआ है। यह हमारी सेना है और लड़ने-मरने के लिए तैयार है। बीच में दो-तीन लोग उल्टे-सीधे बयान देते रहते हैं। कुछ अवसाद में बयान देते हैं तो कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो थोड़ा भाजपा का भी काम कर देते हैं। हमें कहीं-न-कहीं से तो शुरुआत करनी होगी।

इसलिए कार्यसमिति ने निर्णय लिया है कि जिला इकाई और जिला अध्यक्ष से शुरुआत करेंगे। यहां जो लोग आए हैं, उनमें कई ऐसे हैं, जो पूरी शक्ति और दिल के साथ पार्टी के लिए काम करते हैं और ऐसे भी लोग होंगे, जो थोड़ा थक गए हैं या जिनका मूड ठीक नहीं है, जो ज्यादा टेंशन लिए हुए हैं।
अब रेस के घोड़ों और बरात के घोड़ों को अलग तो करना ही पड़ेगा। कांग्रेस पार्टी कभी-कभी रेस के घोड़े को बारात में भेज देती है और कभी-कभी बरात के घोड़े को रेस की लाइन में खड़ा कर देती है। उसको पीछे से एक चाबुक पड़ता है, वह वहीं बैठ जाता है।

मगर एक तीसरी श्रेणी भी है और वह है लंगड़ा घोड़ा। हमें पहचान करके बरात वाले को बरात, रेस वाले को रेस में डालना है और लंगड़े घोड़े को रिटायर करना है, ताकि वह बाकी घोड़ों को डिस्टर्ब न करे। अगर करता है तो उसके साथ क्या होता है आप जानते हो, मैं वह नहीं कहूंगा। ये नई टीम को आगे भी नहीं आने देते और जो आगे बढ़ता है, उसकी टांग खिंचाई करते हैं।

क्‍या राहुल गांधी के पास हैं इन सवालों के जवाब?
राहुल गांधी को यह सोचना चाहिए कि कांग्रेस में यदि यह स्थिति आई तो क्यों आई? यदि कोई नेता पार्टी लाइन से बाहर जाकर कांग्रेस को कमजोर कर रहा था तो नेतृत्व ने उसके विरुद्ध कार्रवाई क्यों नहीं की? ये ऐसे सवाल हैं, जिनके जवाब राहुल गांधी को देना चाहिए।

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