विदेशियों के लिए हठयोग साधना की भूमि बनी गंगा घाटी

भागीरथी (गंगा) के तट पर बसा उत्तरकाशी शहर धीरे-धीरे योग-अध्यात्म की नगरी बनता जा रहा है। बीते दस दिनों से यहां अमेरिका, तुर्की व बेला रूस के 15 योग साधक हठयोग व ध्यान का प्रशिक्षण ले रहे हैं। उन्हें साधना और हवन का महत्व भी समझाया जा रहा है। इसके साथ ही विदेशी साधक उत्तरकाशी में योग को बढ़ावा देने के लिए भी काम कर रहे हैं।विदेशियों के लिए हठयोग साधना की भूमि बनी गंगा घाटी

उजेली स्थित तपोवन आश्रम में शिवानंद कुटीर की ओर से आयोजित हठयोग प्रशिक्षण कार्यक्रम में शिवानंद कुटीर के स्वामी गोविंदानंद व योगाचार्य अमेरिका निवासी रॉबर्ट मोसेस ने विदेशी साधकों को हठयोग के साथ साधना और ध्यान की बारीकियों से परिचित कराया। ताकि वे सूर्य नमस्कार व प्रार्थना का अभ्यास आसानी से कर सकें। 

इसके साथ ही उन्हें उत्तरकाशी के प्रमुख मंदिरों समेत गंगा दर्शन भी कराए गए। इसके अलावा देवी पूजा, महामृत्युंजय जप, सुदर्शन पूजा, गणपति पूजा के हवन कार्यक्रम भी आयोजित किए गए।

हठयोग आयोजन के सदस्य एवं जर्मनी से आए योगाचार्य पीयूष बनूनी ने बताया कि गंगा की निर्मलता और यहां का शांत वातावरण योग के साथ साधना के लिए भी सबसे उपयुक्त है। यहां शिवानंद कुटीर ने योग को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई है। 

पिछले तीन वर्षों से उत्तरकाशी में हठयोग प्रशिक्षण का कार्यक्रम आयोजित हो रहा है। ताकि उत्तरकाशी को विश्व स्तर पर योग भूमि के रूप में पहचान दिलाई जा सके।

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