अमेरिका की भारत को ‘चेतावनी’, अगर रूस से की S-400 डील तो लगा देंगे बैन

भारत के रूस के साथ होने वाले सैन्य समझौतों पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने तेवर कड़े कर लिए हैं. चीन पर प्रतिबंध लगाने के बाद ट्रंप प्रशासन ने अब धमकी दी है कि वह अगर भारत ने रूस के साथ एस-400 डील की तो उस पर भी बैन लगाया जा सकता है. दरअसल भारत अरबों डॉलर खर्च कर रूस से S-400 ट्रायम्फ मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम्स खरीदने के आखिरी चरण में पहुंच चुका है. इससे पहले भी अमेरिका ने भारत को इस सौदे पर चेतावनी दी थी, लेकिन भारत ने उसे नजरअंदाज कर दिया था. अब अमेरिकी प्रशासन ने कहा है कि वह इस सौदे को ‘अहम सौदा’ मानेगा. इसके कारण भारत पर प्रतिबंध भी लगाया जा सकता है.भारत के रूस के साथ होने वाले सैन्य समझौतों पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने तेवर कड़े कर लिए हैं. चीन पर प्रतिबंध लगाने के बाद ट्रंप प्रशासन ने अब धमकी दी है कि वह अगर भारत ने रूस के साथ एस-400 डील की तो उस पर भी बैन लगाया जा सकता है. दरअसल भारत अरबों डॉलर खर्च कर रूस से S-400 ट्रायम्फ मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम्स खरीदने के आखिरी चरण में पहुंच चुका है. इससे पहले भी अमेरिका ने भारत को इस सौदे पर चेतावनी दी थी, लेकिन भारत ने उसे नजरअंदाज कर दिया था. अब अमेरिकी प्रशासन ने कहा है कि वह इस सौदे को 'अहम सौदा' मानेगा. इसके कारण भारत पर प्रतिबंध भी लगाया जा सकता है.  अमेरिका पहले ही कह चुका है कि भारत रूस से ये डील न करे और एयर डिफेंस सिस्टम न खरीदे. कहा जा रहा है कि ट्रंप ने उन आदेशों पर साइन कर दिए हैं, जिसके कारण उन देशों पर प्रतिबंध लगाया जा सकेगा, जो काउंटरिंग अमेरिका एडवर्सिरीज थ्रो सेंक्शन एक्ट (CAATSA) का उल्लंघन करेगा.  इसी का पालन करते हुए अमेरिका ने चीन पर भी प्रतिबंध जड़ दिए हैं. इस कानून के तहत अमेरिका, ईरान, उत्तर कोरिया और रूस पर भी प्रतिबंध लगा चुका है. रक्षा विशेषज्ञ के अनुसार, S-400 सिस्टम का इस्तेमाल न सिर्फ अमेरिका के F-35s से जुड़े रेडार ट्रैक्स की पहचान करने में किया जा सकता है बल्कि इससे F-35 के कॉन्फिगरेशन का भी ठीक-ठीक पता लगाया जा सकता है. माना जा रहा है कि F-35 लाइटनिंग 2 जैसे अमेरिकी एयक्राफ्ट में स्टील्थ के सभी फीचर्स नहीं हैं.  अमेरिका से नहीं डरा भारत, विरोध के बाद भी रूस से खरीदेगा 40 हजार करोड़ की मिसाइलें   अहम है ये डिफेंस सिस्टम भारत रूस से जो डिफेंस सिस्टम खरीदने जा रहा है ये दुश्मन के रणनीतिक जहाजों, जासूसी हवाई जहाजों, मिसाइलों और ड्रोन को 400 किमी की रेंज और हवा से 30 किमी ऊपर ही नष्ट कर सकता है. इस सिस्टम को भारत के लिए एक बड़े गेमचेंजर के रूप में बताया गया था.  पीएम मोदी और पुतिन के बीच बातचीत के बाद बनी सहमति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन के बीच गोवा में 2016 में हुई बैठक में एस 400 डिफेंस सिस्टम को खरीदने पर सहमति बनी थी. इधर अमेरिका ने इस प्रोजेक्ट पर आगे बढ़ने पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी हुई है.  अमेरिकी कानून से कई प्रोजेक्ट अधर में अमेरिका अपने एक कानून सीएएटीएसए (काउंटरिंग अमेरिकाज अडवर्सरीज थ्रू सैंक्संस ऐक्ट) के जरिए दूसरे देशों को रूस से हथियार खरीदने से रोकने की कोशिश कर रहा है. इसी कारण भारत और रूस के बीच कई अहम प्रोजेक्ट अधर में लटक गए हैं.

अमेरिका पहले ही कह चुका है कि भारत रूस से ये डील न करे और एयर डिफेंस सिस्टम न खरीदे. कहा जा रहा है कि ट्रंप ने उन आदेशों पर साइन कर दिए हैं, जिसके कारण उन देशों पर प्रतिबंध लगाया जा सकेगा, जो काउंटरिंग अमेरिका एडवर्सिरीज थ्रो सेंक्शन एक्ट (CAATSA) का उल्लंघन करेगा.  इसी का पालन करते हुए अमेरिका ने चीन पर भी प्रतिबंध जड़ दिए हैं. इस कानून के तहत अमेरिका, ईरान, उत्तर कोरिया और रूस पर भी प्रतिबंध लगा चुका है. रक्षा विशेषज्ञ के अनुसार, S-400 सिस्टम का इस्तेमाल न सिर्फ अमेरिका के F-35s से जुड़े रेडार ट्रैक्स की पहचान करने में किया जा सकता है बल्कि इससे F-35 के कॉन्फिगरेशन का भी ठीक-ठीक पता लगाया जा सकता है. माना जा रहा है कि F-35 लाइटनिंग 2 जैसे अमेरिकी एयक्राफ्ट में स्टील्थ के सभी फीचर्स नहीं हैं.

अहम है ये डिफेंस सिस्टम
भारत रूस से जो डिफेंस सिस्टम खरीदने जा रहा है ये दुश्मन के रणनीतिक जहाजों, जासूसी हवाई जहाजों, मिसाइलों और ड्रोन को 400 किमी की रेंज और हवा से 30 किमी ऊपर ही नष्ट कर सकता है. इस सिस्टम को भारत के लिए एक बड़े गेमचेंजर के रूप में बताया गया था.

पीएम मोदी और पुतिन के बीच बातचीत के बाद बनी सहमति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन के बीच गोवा में 2016 में हुई बैठक में एस 400 डिफेंस सिस्टम को खरीदने पर सहमति बनी थी. इधर अमेरिका ने इस प्रोजेक्ट पर आगे बढ़ने पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी हुई है.

अमेरिकी कानून से कई प्रोजेक्ट अधर में
अमेरिका अपने एक कानून सीएएटीएसए (काउंटरिंग अमेरिकाज अडवर्सरीज थ्रू सैंक्संस ऐक्ट) के जरिए दूसरे देशों को रूस से हथियार खरीदने से रोकने की कोशिश कर रहा है. इसी कारण भारत और रूस के बीच कई अहम प्रोजेक्ट अधर में लटक गए हैं.

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