हर हुसैनी शिया नहीं और हर शिया हुसैनी नहीं

स्कूल में नजर आना और स्कूल से इल्म हासिल करने में बहुत फर्क है। कभी कभी तो ऐसे लोगों में भी इल्म का खजाना नजर आ जाता है जिन्होने स्कूल के चक्कर ना काटे हों।हर हुसैनी शिया नहीं और हर शिया हुसैनी नहीं

ज़रूरी नहीं कि हर मातम करने वाला हुसैनी हो। हदीस पढ़ने वाला मौलाना हुसैनी हो। ताज़िया रखने वाला ताजिएदार हुसैनी हो। अलम उठाने वाला या नौहा पढ़ने वाला ही हुसैनी हो।

हुसैनी बनने के लिए हर दौर की यज़ीदी ताकतों से मुकाबला करना जरूरी होता है। सच को बचाने के लिए झूठ, अन्याय और आतंकवाद के खिलाफ जंग लड़नी होती है।

इमाम हुसैन के किरदार के हर अमल ने सिखाया है कि तुम्हारे पास कुछ ना हो तो हौसले की ताकत के साथ लड़ना। हौसला भी ना हो तो कर्बला की जंग से हौसला और हिम्मत हासिल कर लेना।

याद रखना कामयाबी सिर काट कर ही नहीं मिलती। सिर कटवाकर भी हम अपने मकसद में कामयाब हो सकते हैं।

-नवेद शिकोह
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