कभी लिखी थी ‘लालू चालीसा’, आज कह रहे ‘जैसी करनी वैसी भरनी’

1990 के दशक में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद की शान में ब्रह्मदेव आनंद पासवान नामक एक शख्स ने ‘लालू चालीसा’ लिखी थी। तब उनकी रचना को चाटुकारिता की पराकाष्ठा बताया गया था। राष्ट्रीय जनता दल को ‘लालू चालीसा’ पर अभिमान था तो लालू विरोधियों ने इस पर आसमान उठा लिया था। खुद लालू प्रसाद ने भी तब ब्रह्मदेव आनंद पासवान को हाथों हाथ लिया था।1990 के दशक में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद की शान में ब्रह्मदेव आनंद पासवान नामक एक शख्स ने 'लालू चालीसा' लिखी थी। तब उनकी रचना को चाटुकारिता की पराकाष्ठा बताया गया था। राष्ट्रीय जनता दल को 'लालू चालीसा' पर अभिमान था तो लालू विरोधियों ने इस पर आसमान उठा लिया था। खुद लालू प्रसाद ने भी तब ब्रह्मदेव आनंद पासवान को हाथों हाथ लिया था।  वह लालू प्रसाद यादव की सार्वजनिक जनसभाओं का मुख्य आकर्षण होते थे। खुश होकर लालू प्रसाद ने ब्रह्मदेव आनंद पासवान को राज्यसभा का सदस्य तक बना दिया, लेकिन बदली परिस्थितियों में ब्रह्मदेव आज उनके साथ खड़े नहीं हैं। वह यह मानते हैं कि लालू प्रसाद ने जो किया वह उसका फल भुगत रहे हैं। गलत करने वाले को सजा हर हाल में भुगतनी पड़ती है।    बातचीत में वह कहते हैं, उस वक्त की परिस्थितियां ऐसी थी कि उन्होंने 'लालू चालीसा' की रचना की। यह पूछे जाने पर कि इसे चाटुकारिता की हद कहा जाता है तो उन्होंने कहा-उस समय जो सही लगा वह किया। लालू प्रसाद से अब भी अच्छे ताल्लुकात हैं। अक्सर उनसे मिलकर हालचाल लेते हैं। इससे ज्यादा उनके बारे में अब क्या बोलें?  लालू प्रसाद से ब्रह्मदेव आनंद पासवान का मोहभंग उसी वक्त हो गया था जब बतौर राज्यसभा सदस्य का कार्यकाल टर्म पूरा होने के बाद दोबारा उन्हें राज्यसभा में नहीं भेजा था। पासवान ने अलग राजनीतिक राह पकड़ ली। कांग्रेस में भी भाग्य आजमाया, लेकिन ज्यादा तवज्जो नहीं मिली।   चुनाव से पहले फूट जाएगा महागठबंधन का गुब्बाराः मुख्तार अब्बास नकवी यह भी पढ़ें   वोटर्स पार्टी चलाते हैं ब्रह्मदेव : ब्रह्मदेव आनंद पासवान अब खुद का राजनीतिक दल चलाते हैं। नाम है वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल। वह अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक मसलों का खुद को जानकार बताते हुए कहते हैं कि उनकी इच्छा देशभर में संयुक्त लोकतांत्रिक गठबंधन (यूडीएफ) बनाने की है। इसमें वैसी पार्टियां शामिल होंगी जो भाजपा और कांग्रेस के गठबंधन के साथ नहीं हैं। राज्य में इस गठबंधन का उद्देश्य अलग झारखंड के गठन के मकस1990 के दशक में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद की शान में ब्रह्मदेव आनंद पासवान नामक एक शख्स ने 'लालू चालीसा' लिखी थी। तब उनकी रचना को चाटुकारिता की पराकाष्ठा बताया गया था। राष्ट्रीय जनता दल को 'लालू चालीसा' पर अभिमान था तो लालू विरोधियों ने इस पर आसमान उठा लिया था। खुद लालू प्रसाद ने भी तब ब्रह्मदेव आनंद पासवान को हाथों हाथ लिया था।  वह लालू प्रसाद यादव की सार्वजनिक जनसभाओं का मुख्य आकर्षण होते थे। खुश होकर लालू प्रसाद ने ब्रह्मदेव आनंद पासवान को राज्यसभा का सदस्य तक बना दिया, लेकिन बदली परिस्थितियों में ब्रह्मदेव आज उनके साथ खड़े नहीं हैं। वह यह मानते हैं कि लालू प्रसाद ने जो किया वह उसका फल भुगत रहे हैं। गलत करने वाले को सजा हर हाल में भुगतनी पड़ती है।    बातचीत में वह कहते हैं, उस वक्त की परिस्थितियां ऐसी थी कि उन्होंने 'लालू चालीसा' की रचना की। यह पूछे जाने पर कि इसे चाटुकारिता की हद कहा जाता है तो उन्होंने कहा-उस समय जो सही लगा वह किया। लालू प्रसाद से अब भी अच्छे ताल्लुकात हैं। अक्सर उनसे मिलकर हालचाल लेते हैं। इससे ज्यादा उनके बारे में अब क्या बोलें?  लालू प्रसाद से ब्रह्मदेव आनंद पासवान का मोहभंग उसी वक्त हो गया था जब बतौर राज्यसभा सदस्य का कार्यकाल टर्म पूरा होने के बाद दोबारा उन्हें राज्यसभा में नहीं भेजा था। पासवान ने अलग राजनीतिक राह पकड़ ली। कांग्रेस में भी भाग्य आजमाया, लेकिन ज्यादा तवज्जो नहीं मिली।   चुनाव से पहले फूट जाएगा महागठबंधन का गुब्बाराः मुख्तार अब्बास नकवी यह भी पढ़ें   वोटर्स पार्टी चलाते हैं ब्रह्मदेव : ब्रह्मदेव आनंद पासवान अब खुद का राजनीतिक दल चलाते हैं। नाम है वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल। वह अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक मसलों का खुद को जानकार बताते हुए कहते हैं कि उनकी इच्छा देशभर में संयुक्त लोकतांत्रिक गठबंधन (यूडीएफ) बनाने की है। इसमें वैसी पार्टियां शामिल होंगी जो भाजपा और कांग्रेस के गठबंधन के साथ नहीं हैं। राज्य में इस गठबंधन का उद्देश्य अलग झारखंड के गठन के मकसद को पूरा करना है।द को पूरा करना है।

वह लालू प्रसाद यादव की सार्वजनिक जनसभाओं का मुख्य आकर्षण होते थे। खुश होकर लालू प्रसाद ने ब्रह्मदेव आनंद पासवान को राज्यसभा का सदस्य तक बना दिया, लेकिन बदली परिस्थितियों में ब्रह्मदेव आज उनके साथ खड़े नहीं हैं। वह यह मानते हैं कि लालू प्रसाद ने जो किया वह उसका फल भुगत रहे हैं। गलत करने वाले को सजा हर हाल में भुगतनी पड़ती है।

बातचीत में वह कहते हैं, उस वक्त की परिस्थितियां ऐसी थी कि उन्होंने ‘लालू चालीसा’ की रचना की। यह पूछे जाने पर कि इसे चाटुकारिता की हद कहा जाता है तो उन्होंने कहा-उस समय जो सही लगा वह किया। लालू प्रसाद से अब भी अच्छे ताल्लुकात हैं। अक्सर उनसे मिलकर हालचाल लेते हैं। इससे ज्यादा उनके बारे में अब क्या बोलें?

लालू प्रसाद से ब्रह्मदेव आनंद पासवान का मोहभंग उसी वक्त हो गया था जब बतौर राज्यसभा सदस्य का कार्यकाल टर्म पूरा होने के बाद दोबारा उन्हें राज्यसभा में नहीं भेजा था। पासवान ने अलग राजनीतिक राह पकड़ ली। कांग्रेस में भी भाग्य आजमाया, लेकिन ज्यादा तवज्जो नहीं मिली।

वोटर्स पार्टी चलाते हैं ब्रह्मदेव : ब्रह्मदेव आनंद पासवान अब खुद का राजनीतिक दल चलाते हैं। नाम है वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल। वह अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक मसलों का खुद को जानकार बताते हुए कहते हैं कि उनकी इच्छा देशभर में संयुक्त लोकतांत्रिक गठबंधन (यूडीएफ) बनाने की है। इसमें वैसी पार्टियां शामिल होंगी जो भाजपा और कांग्रेस के गठबंधन के साथ नहीं हैं। राज्य में इस गठबंधन का उद्देश्य अलग झारखंड के गठन के मकसद को पूरा करना है।

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