प्रदोष व्रत को शिव जी की कृपा प्राप्ति के लिए एक उत्तम तिथि माना जाता है। भाद्रपद का दूसरा प्रदोष व्रत रविवार, 5 सितंबर को रखा जाएगा, जिसे रवि प्रदोष व्रत भी कह सकते हैं। यह व्रत भगवान शिव और सूर्य देव को समर्पित है। ऐसे में इस दिन आप कुछ बातों का ध्यान रख शिव जी के साथ-साथ सूर्य देव की कृपा के पात्र भी बन सकते हैं।
रवि प्रदोष व्रत का महत्व (Ravi Pradosh Vrat 2024)
रवि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की उपासना के साथ-साथ सूर्य देव की उपासना करने से भी साधक को शुभ परिणाम मिल सकते हैं। ऐसा करने से साधक को करियर में भी लाभ देखने को मिल सकता है। शिव पुराण और स्कंद पुराण के अनुसार, इस दिन उपवास रखने से साधक रोग और दोष आदि से मुक्ति रहता है। साथ ही उसे धन-सम्पदा की भी प्राप्ति होती है।
जरूर करें ये काम
रवि प्रदोष व्रत सूर्य देव को समर्पित है, इसलिए इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करने के बाद सफेद वस्त्र धारण करें। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। जल अर्पित करते समय उसमें रोली, अक्षत और पुष्प जरूर मिलाएं। इसके बाद भगवान शिव की पूजा करते समय मन-ही-मन भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से साधक को अच्छे परिणाम मिलने लगते हैं।