दिल्ली की राजनीति भ्रष्टाचार बनाम जांच एजेंसी के दुरुपयोग पर केंद्रित

दिल्ली की राजनीति भ्रष्टाचार बनाम जांच एजेंसी के दुरुपयोग पर केंद्रित हो गई है। आम आदमी पार्टी लगातार जांच एजेंसी पर सवाल उठा रही है तो भाजपा भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टोलरेंस की बात कर रही है। दलील दी जा रही है कि आम जनता हो या खास, भ्रष्टाचारी के लिए जो जगह है वहीं जांच एजेंसी भेज रही है। राजनीति का अहम हिस्सा दिल्ली में पीड़ित कार्ड खेलने का भी दिख रहा है, ताकि जनता से सहानुभूति मिल सके।

राजनीति के जानकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली की राजनीति में शह-मात का खेल चल रहा है। भाजपा का प्रयास है कि भ्रष्टाचार का विरोध कर दिल्ली की सत्ता हथियाने वाली आप को इसी मुद्दे पर घेरा जाए। भाजपा को आबकारी नीति का मुद्दा भी मिल गया है। लोकसभा चुनाव के दौरान यह मुद्दा तब जोर-शोर से उठा जब ईडी ने मुख्यमंत्री को ही गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद आप समेत पूरे गठबंधन के निशाने पर जांच एजेंसी आ गई। हालांकि, केजरीवाल की गिरफ्तारी और जेल से सत्ता संभालने वाले बयान पर कई पार्टियों ने विरोध भी जताया है।

इधर, भाजपा को घेरते हुए आप ने यहां तक कहा है कि ईडी की रेड के बाद मनी लांड्रिंग की आरोपी कंपनियों के पास से सबसे ज्यादा पैसा चुनावी चंदे के रूप में भाजपा के पास आया है। भाजपा घोषणा करे कि उन्हें 2741 करोड़ रुपये ऐसी कंपनियों से मिले हैं जिन पर ईडी, सीबीआई, आईटी की रेड हुई है। मुख्यमंत्री और पत्नी सुनीता केजरीवाल ने ईडी पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

लगातार घोटाले को लेकर निशाना
भाजपा लगातार आप पर लगातार शराब व जल बोर्ड घोटाले को लेकर निशाना साध रही है। इतना ही नहीं भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने केजरीवाल को लेकर भ्रष्टाचार पर गाना ही तैयार कर लिया है। सोशल मीडिया पर भी भाजपा भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ही आप को घेर रही है।

ऊंट किस करवट बैठेगा संशय बरकरार
राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति में ऊंट किस करवट बैठेगा इस पर संशय बरकरार है। इस वजह से दोनों मुख्य सियासी दल फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं। राजनीति का अहम हिस्सा दिल्ली में पीड़ित कार्ड खेलने का भी दिख रहा है। भाजपा ने एक नया सुर अलापा है, जिसमें आतंकवादी संगठनों से आप के संबंधों के बारे में सवाल उठाए गए हैं। वहीं, गठबंधन का धर्म निभाते हुए कांग्रेस की अपने कैडर वोटरों पर नजर है।

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