स्कूली बच्चों के निकलने के लिए कीचड़ युक्त है रास्ते..

चित्रकूट-भारत देश को आजाद हुए दशकों साल हो गए लेकिन आज भी एक ऐसा गांव है जहाँ विकास की किरण आज तक उस गांव में नही पहुँच पाई है ,और आज भी विकास की राह गांव देख रहा है ।चित्रकूट-भारत देश को आजाद हुए दशकों साल हो गए लेकिन आज भी एक ऐसा गांव है जहाँ विकास की किरण आज तक उस गांव में नही पहुँच पाई है ,और आज भी विकास की राह  गांव देख रहा है । हम बात कर रहे है पहाड़ी ब्लाक के अंतर्गत आने वाले भुइहरी गांव की जो जिला मुख्यालय से करीब 15 किमी दूर है लेकिन आज इस गांव में विकास की किरण नही पहुँच पाई है । सबसे बड़ी समस्या स्कूली बच्चों की है ।जो प्राथमिक विद्यालय पहुँचने के लिये एक फिट कीचड़ से घुस कर जाना पड़ रहा है लेकिन किसी भी माननीयों की नज़र इन अबोध बच्चो पर नही पड़ रही है जो कीचड़ और कटीली रास्तो से गुजर कर विद्यालय पहुँचते हैं ऐसे बालको के जज्बों का हमारा सलाम है जो कटीली ,कीचड़ और काँच युक्त रास्ता होते हुए भी उन बालको का रास्ता नही रोक पाती है और छोटे-छोटे बच्चे इन सभी बाधाओं को पार करते हुए विद्यालय पहुचते हैं । कागजो में तो पूरा गांव सी सी ,खरंजा युक्त है लेकिन हकीकत कुछ और बया करती है जो इस वीडियो में आप खुद देख सकते हैं । बच्चो के परिजनों से जब हम जाकर इसके बारे में जानकारी ली तब उन्होंने बताया कि हम लोग ग्राम प्रधान ,ग्राम सचिव व खंड विकास अधिकारी को सारी जानकारी दी लेकिन खंडविकास अधिकारी गांव न आकर ग्राम प्रधान के पुरवा में जांच कर वापस चले गए ।  भुइहरी गांव की जनता ने ये भी कहा कि हमे जिलाधिकारी महोदय से आस है कि कम से कम विद्यालय जाने के लिए इन अबोध बच्चो को विद्यालय आने-जाने के लिए रास्ते का प्रबंध जरूर कराएंगे ।

हम बात कर रहे है पहाड़ी ब्लाक के अंतर्गत आने वाले भुइहरी गांव की जो जिला मुख्यालय से करीब 15 किमी दूर है लेकिन आज इस गांव में विकास की किरण नही पहुँच पाई है । सबसे बड़ी समस्या स्कूली बच्चों की है ।जो प्राथमिक विद्यालय पहुँचने के लिये एक फिट कीचड़ से घुस कर जाना पड़ रहा है

लेकिन किसी भी माननीयों की नज़र इन अबोध बच्चो पर नही पड़ रही है जो कीचड़ और कटीली रास्तो से गुजर कर विद्यालय पहुँचते हैं ऐसे बालको के जज्बों का हमारा सलाम है जो कटीली ,कीचड़ और काँच युक्त रास्ता होते हुए भी उन बालको का रास्ता नही रोक पाती है और छोटे-छोटे बच्चे इन सभी बाधाओं को पार करते हुए विद्यालय पहुचते हैं ।

कागजो में तो पूरा गांव सी सी ,खरंजा युक्त है लेकिन हकीकत कुछ और बया करती है जो इस वीडियो में आप खुद देख सकते हैं । बच्चो के परिजनों से जब हम जाकर इसके बारे में जानकारी ली तब उन्होंने बताया कि हम लोग ग्राम प्रधान ,ग्राम सचिव व खंड विकास अधिकारी को सारी जानकारी दी लेकिन खंडविकास अधिकारी गांव न आकर ग्राम प्रधान के पुरवा में जांच कर वापस चले गए ।

भुइहरी गांव की जनता ने ये भी कहा कि हमे जिलाधिकारी महोदय से आस है कि कम से कम विद्यालय जाने के लिए इन अबोध बच्चो को विद्यालय आने-जाने के लिए रास्ते का प्रबंध जरूर कराएंगे ।

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