टीबी मरीजों को गोद लेने वालों का निक्षय पोर्टल पर होगा पंजीकरण

– ओपीडी में कुल आने वाले मरीजों में से 5% की होगी टीबी जांच
– मुख्यमंत्री स्वास्थ्य मेलों में अनिवार्य रूप से लगे टीबी का स्टाल

लखनऊ। देश को वर्ष 2025 तक क्षय रोग यानि टीबी मुक्त बनाने के प्रधानमंत्री के संकल्प को साकार करने के लिए हरसम्भव कोशिश लगातार जारी है। इसी क्रम में राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत इसी माह से विभिन्न गतिविधियों पर ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है। इसके तहत अब यह व्यवस्था की गयी है कि टीबी मरीजों को गोद लेने वालों (डोनर) को चिन्हित कर निक्षय पोर्टल पर अनिवार्य रूप से पंजीकृत किया जाएगा। इनको अब निक्षय मित्र के रूप में जाना जायेगा।

ज्ञात हो कि पिछले चार माह में प्रदेश में 1.36 लाख से अधिक टीबी मरीजों को गोद लिया जा चुका है। इस नई पहल से अब और भी लोग आगे आएंगे और टीबी मरीजों को गोद लेकर उनको पोषक आहार मुहैया कराने के साथ ही भावनात्मक संबल भी प्रदान करेंगे। प्रदेश में इसके तहत करीब 4505 निक्षय मित्रों का पंजीकरण कर दिया गया है। संयुक्त निदेशक (क्षय)/राज्य क्षय नियन्त्रण कार्यक्रम अधिकारी डॉ. शैलेन्द्र भटनागर ने इस बारे में प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों व अन्य को पत्र जारी कर आवश्यक दिशा निर्देश प्रदान किया है। पत्र के मुताबिक़ क्षय रोगियों का नोटिफिकेशन बढाने के लिए अब सरकारी अस्पतालों (स्वास्थ्य इकाइयों) की ओपीडी में आने वाले कुल मरीजों में से माहवार पांच फीसद मिलते-जुलते लक्षण वाले मरीजों को टीबी की जांच के लिए रेफर किया जाए। इसके अलावा कम्युनिटी हेल्थ आफिसर (सीएचओ) को टीबी की स्क्रीनिंग और उपचार सेवाओं में सक्रिय भागीदारी निभाने के लिए प्रशिक्षित किया जाए। निक्षय पोर्टल संचालित करने के लिए सीएचओ को हैंड्स ऑन प्रशिक्षण जल्द से जल्द प्रदान किया जाए। इसके साथ ही अब यह व्यवस्था भी सुनिश्चित कराने को कहा गया है कि हर रविवार को आयोजित होने वाले मुख्यमंत्री आरोग्य स्वास्थ्य मेले में निश्चित रूप से टीबी का स्टाल लगाया जाए। इसके माध्यम से मेले में आने वालों को टीबी के लक्षण जैसे- दो हफ्ते से अधिक समय से खांसी आना व बुखार बना रहना, खांसी के साथ बलगम में खून आना, रात में पसीना आना, वजन गिरना, भूख न लगना आदि के बारे में बताया जाए। इसके अलावा मुफ्त जाँच और उपचार के बारे में भी विस्तार से बताया जाए। इसके अलावा इस माह विशेष अभियान चलाकर टीबी मरीजों को नोटिफाई करने वाले निजी चिकित्सकों का भुगतान सीधे बैंक खाते में किया जाए। इसके साथ ही निक्षय पोषण योजना के तहत क्षय रोगियों को इलाज के दौरान हर महीने मिलने वाले 500 रुपये का भुगतान भी सुनिश्चित किया जाए।

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