लाॅकप में बंद दो फर्जी पत्रकारों ने इंटरव्यू में कहा
लाॅकप में बंद दो फर्जी पत्रकारों ने इंटरव्यू में कहा-
हम बड़े होकर पत्रकारिता के चौधरी बनना चाहते हैं
पत्रकारिता का नाम गोबर करने वाले फर्जी पत्रकार और असली ब्लैकमेलर्स ने सलाखों के पीछे से एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा कि बड़ा पत्रकार बनने के लिए ये गिरफ्तारी हमारी तरक्की का मील का पत्थर है। हम लोगों ने भले ही आज पत्रकारिता का नाम गोबर किया है लेकिन आने वाले वक्त मे हम लोग पत्रकारिता के चौधरी बनकर अपना नाम रौशन करेंगे। हमने पत्रकारिता का पहला सबक ब्लैकमेलिंग सीख ली है। खबर लिखना आना सेकेंडरी है। आज ब्लैकमेलिंग सीखी तो कल खबर लिखना भी सीख लेने के बाद किसी बड़े मीडिया समूह और खुद को मालामाल करने के लिए बड़ी ब्लैकमेलिंग करेंगे। और फिर बड़े पत्रकार बनकर बड़े ब्लैकमेलर बन जायेंगे।
किसी बड़े न्यूज चैनल का जाना पहचाना चेहरा बनकर नाम और पैसा कमायेंगे। अपने को सेफ भी करना होगा इसलिए किसी ब्रांड चैनल के स्टार एंकर/पत्रकार बन कर सरकार की चाटुकारिता करेंगे। ऐसे में हमारी बड़ी से बड़ी ब्लैकमेलिंग पर सरकार पर्दा डाल देगी।
लखनऊ के हजरतगंज थाने में ब्लैकमेलिंग के आरोप में लाॅकप में बंद फर्जी पत्रकार आलोक उपाध्याय और फैज रिजवी ने खुल कर अपने दिल की बातें साझा कीं। दोने ने एकमत होकर कहा कि अभी तो हम ब्लैकमेलिंग के मकसद से पत्रकारिता का नाम धूमिल कर रहे हैं। हमारे इस नेक कृत्य में हमारे जैसों की कार्यगुजारी के प्रति आंख मूंदे असली पत्रकारों के संगठनों और सरकार को श्रेय जाता है। इन फर्जी पत्रकारों ने अपनी आगे की रणनीति का खुलासा करते हुए कहा कि आज हम अपनी गलती से पुलिस की गिरफ्त में आये हैं। यदि मेरे जैसे फर्जी पत्रकार पहले ही कोई पत्रकार एसोसिएशन गठित कर लेते तो पुलिस हमें हरगिज गिरफ्तार नहीं कर पाती। हमारे फर्जी पत्रकार संगठन के लोगों का दबाव पुलिस के हौसले पस्त कर देता। इसलिए हम रिहा होने के तुरंत बाद एक पत्रकार एसोसिएशन का गठन करेंगे।
आलोक और फैज से जब ये पूछा कि फर्जी पत्रकारिता और ब्लैकमेलिंग के बजाय पत्रकारिता का असली पाठ पढ़कर इज्जत से असली पत्रकारिता का विचार कभी मन में आया क्या ! ब्लैकमेलिंग के इन आरोपियों ने इस सवाल के जवाब में मुख्य धारा की पत्रकारिता को ही कटघरे में खड़ा कर दिया। बोले- हम लोग भले ही फर्जी पत्रकार हैं लेकिन असली पत्रकारिता की सच्चाई को भी बखूबी जानते हैं। मुख्यधारा की पत्रकारिता से जुड़े ज्यादातर पत्रकार भी ब्लैकमेलिंग, चाटुकारिता, पेड न्यूज या विज्ञापन के संघर्ष के बिना पत्रकारिता के पेशे से पेट नहीं पाल सकते।
(गैस रिफलिंग का आरोप लगाकर दुकानदारों को ब्लैकमेल कर अवैध वसूली करने वाले दो फर्जी पत्रकार आलोक उपाध्याय और फैज रिजवी को हजरतगंज पुलिस ने आज गिरफ्तार किया। इस वास्तविक खबर पर ये काल्पनिक इंटरव्यू आज की पत्रकारिता पर व्यंग्य मात्र है।)
– नवेद शिकोह