दादा के दिए बल्ले से पृथ्वी शॉ ने लगाया था पहला शॉट, अब दुनिया में हो रहा नाम

अंडर-19 विश्व कप का खिताब जीतने वाले भारतीय टीम के कप्तान पृथ्वी शॉ के हाथों में पहला बल्ला उसके दादा ने पकड़ाया था, जब उनकी उम्र महज तीन साल की रही थी। पृथ्वी शॉ के दादा ने उन्हें उनके बचपन का पहला बैट पकड़ाया था, वो प्लास्टिक का एक बैट था। दादा ने पोते के अंदर अंकुरित हो रहे क्रिकेट के बीज को जैसे पढ़ लिया था।

पृथ्वी का पैतृक नाता गया स्थित मानपुर से है। इस मानपुर को लोग एक और बात के लिए जानते हैं, जहां के पटवा टोली के छात्र थोक के भाव में आइआइटी व एनआइटी की परीक्षा पास करते हैं। पृथ्वी का पैतृक घर मानपुर स्थित शिवचरण लेन की संकीर्ण गली में है। उनके दादा अशोक साव बताते हैं कि जब वह छोटा था, तो क्रिकेट का एक्शन दिखाता रहता था। उन्होंने उसे प्लास्टिक का बल्ला और गेंद खरीद कर दिया। वह तब तीन साल का था, बहुत खुश हुआ। इस बल्ले से खेलता रहा।

मानपुर की गलियों में पकड़ा था बल्ला

दादा-पोता का क्रिकेट

दादा ने कहा, ‘पृथ्वी यहीं पास के मैदान में चला जाता था। छोटा-सा बच्चा..हम..(आंखें डबडबा जाती हैं, आवाज भर्रा जाती है) दादा-पोता क्रिकेट खेलते थे। हम गेंद फेकते थे, पृथ्वी उस पर शॉट मारकर खूब खुश होता था।’ दादा कहते हैं, बच्चे ने आज नाम रोशन कर दिया। 2002 का वह साल था जब कुछ महीने बाद पृथ्वी अपने पिता के साथ मुंबई चला गया।

दादा की है कपड़े की दुकान 

पृथ्वी के दादा की मानपुर के शिवचरण लेन में ही कपड़े की छोटी-सी दुकान है। इसी से परिवार का पालन-पोषण होता है। यहां वे अपनी पत्नी के साथ रहते हैं। वे कहते हैं कि क्रिकेट से परिवार का दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था, पर बच्चे में जैसे कोई प्रतिभा पनप गई थी।

बचपन में ही गुजर गई पृथ्वी की मां  

वे बताते हैं कि पृथ्वी का जन्म भी मुंबई में ही हुआ। पालन-पोषण और पढ़ाई-लिखाई भी वहीं हुई। दादा-दादी, बेटे और पोते से मिलने वहां जाते रहते हैं। पृथ्वी अंतिम बार यहां 2002 में आया था। दादा बताते हैं, मेरे बेटे पंकज साव यानी पृथ्वी के पिता को पढ़ाई में मन नहीं लगता था। उसे एक परिचित के साथ मुंबई पढ़ने के लिए भेजा। परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी, फिर भी हम किसी तरह परिवार चला रहे थे। मेरा बेटा दस साल की उम्र से मुंबई में रह रहा है। उसने वहीं शादी भी कर ली। बेटे-बहू को आशीर्वाद दे दिया। फिर पृथ्वी का जन्म हुआ। जन्म के कुछ माह बाद ही बहू दुनिया छोड़कर चली गई। पृथ्वी को उसके पिता ने ही पाल-पोस कर बड़ा किया।

पृथ्वी के करियर की शुरुआत

पृथ्वी ने मुंबई के सहारा परिसर बीरां में अपने करियर की शुरुआत की। वहां उसे बेहतरीन क्रिकेट खेलते देख चयनकर्ताओं ने देखा था। बीरां टूर्नामेंट में मुंबई की ओर से खेलते हुए उसने जीत दिलाई थी। पृथ्वी के दादा बताते हैं कि मुंबई के एमआइजी क्लब में उसने कोचिंग ली, जहां देश के होनहार बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर अभ्यास करते थे। उस क्लब में पृथ्वी ने रीगल मैदान में प्रशिक्षक पिंलकुंगार की देखरेख में प्रशिक्षण प्राप्त किया।

दादा खुद लेकर गए एयरपोर्ट 

दादा बताते हैं, पिछले साल दिसंबर में मुंबई गया तो पोते पृथ्वी ने बताया कि उसका अंडर-19 क्रिकेट टीम में चयन हो गया है। उसे श्रीलंका जाना है। घर से एयरपोर्ट तक गाड़ी चलाकर उसके दादा ही ले गए।

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