LS चुनाव को ले आज साफ होगा JDU का स्‍टैंड, इस मुद्दे पर दिया BJP को झटका

हस्तिनापुर (दिल्‍ली) में  रविवार को पाटलिपुत्र (पटना) की सियासत तय हो रही है। दिल्ली में रविवार को आयोजित जदनता दल यूनाइटेड (जदयू) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक तथा उसके बाद नेताओं की बातचीत में आगामी लोकसभा चुनाव काे लेकर पार्टी का स्‍टैंड तय हो जाने की उम्‍मीद है।

इसे मुद्दे पर भाजपा को झटका
इस बीच राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जदयू ने एक देश एक चुनाव का प्रस्ताव पारित कर दिया है। पार्टी ने इन मुद्दे पर भाजपा के रूख का समर्थन किया है। हालांकि, जदयू ने असम में नागरिकता संशोधन बिल का विरोध करने का फैसला किया है। जदयू का यह प्रस्‍ताव भाजपा को झटका है। असम नागरिकता संशोधन बिल को जदयू का विरोध बड़ा फैसला है।

इन मुद्दों पर भी चर्चा
बताया जा रहा है कि जदयू की बैठक में आगामी लोकसभा चुनाव में बिहार में मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार को राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का चेहरा बनाने को लेकर भी चर्चा की गई। चुनाव में जदयू कितनी सीटें चाहती हैं, इसपर भी विमर्श किया गया। बताया जाता है कि विशेष राज्‍य का मुद्दा भी उठा है। बैठक जारी है। बैठक के बाद अपराह्न दो बजे के बाद मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार इस बाबत मीडिया को जानकारी देंगे।

अमित शाह की बैठक के मुद्दों पर विमर्श 
बिहार के मुख्‍यमंत्री व जदयू सुप्रीमो नीतीश कुमार की अध्‍यक्षता में पार्टी की राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी की अहम बैठक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष अमित शाह और नीतीश कुमार के बीच 12 जुलाई को होने वाली बैठक से पहले हुई। बताया जा रहा है कि इस बैठक में नीतीश कुमार की अमित शाह के साथ होने वाली बैठक के मुद्दों पर भी विमर्श कर उन्‍हें अंतिम रूप दिया गया।

सीट शेयरिंग व चुनावी चेहरे पर चर्चा 
राजग के दोनों बड़े सहयोगी दलों भाजपा प जेडीयू में सीट शेयरिंग व चुनावी चेहरे को लेकर तल्‍ख बयानबाजी हुई है। भाजपा व राजग के अन्‍य घटक दल जदयू के लिए 2014 के लोकसभा चुनाव को सीट शेयरिंग का आधार बनाना चाहते है, जबकि जदयू 2015 के विधानसभा चुनाव को आधार बनाना चाहता है। जदयू ने 2014 के लोकसभा चुनाव में केवल दो सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि राजग ने पीएम मोदी की लहर में 40 में से 31 सीटें जीत ली थीं। 2015 का विधानसभा चुनाव में जदयू ने राजद व कांग्रेस के साथ महागठबंधन के बैनर तले चुनाव लड़ा था और 71 सीटों पर जीत दर्ज की थी। तब भाजपा को केवल 53 सीटें मिली थीं।

जदयू नीतीश कुमार को बिहार में चुनावी चहरा बनाना चाहता है। जबकि, कई भाजपा नेता कह रहे कि लोकसभा चुनाव का चेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं।

जदयू के राष्ट्रीय महासचिव संजय झा ने कहा कि 2014 के लोकसभा के नतीजे सीट शेयरिंग का आधार नहीं हो सकते क्योंकि उस समय जदयू किसी भी बड़े गठबंधन का हिस्सा नहीं था। इससे पहले जदयू ने 25 सीटों और भाजपा ने 15 सीटों पर का चुनाव लड़ा था। उन्‍होंने कहा कि 2015 का विधानसभा चुनाव सीट शेयरिंग का आधार हो सकता है। उसमें जदयू ने राजद व कांग्रेस के साथ महागठबंधन के बैनर तले चुनाव लड़ा था।

जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने कहा है कि जदयू बिहार में बड़े भाई के रूप में ही चुनाव लड़ेगी। अर्थात् उसे चुनाव में बेहतर संख्‍या में सीटें तथा नीतीश कुमार का चुनावी चेहरा चाहिए। जदयू जानता है कि लोकसभा चुनाव में सीट शेयरिंग का मुद्दा सुलझ गया तो आगे विधानसभा चुनाव में भी दिक्कत नहीं होगी।

विशेष राज्‍य का दर्जा भी अहम मुद्दा 
बिहार को विशेष राज्‍य का दर्जा देने की मांग भी जदयू के लिए बड़ा मुद्दा है। इसे लेकर भाजपा व जदयू के अलग-अलग मत सार्वजनिक होते रहे हैं। भाजपा नेता व पूर्व मंत्री डॉ. सीपी ठाकुर ने स्‍पष्‍ट कर दिया है कि वर्तमान प्रावधानों के तहत विशेष राज्‍य का दर्जा देना संभव ही नहीं है। दूसरी ओर जदयू का कहना है कि परिस्थितियों को देखते हुए प्रावधान बदले जा सकते हैं।

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