झारखंड: निजीकरण के खिलाफ बैंक यूनियनों का जोरदार प्रदर्शन, संसद मार्च की दी चेतावनी

बैंक कर्मचारी संगठनों ने सरकार की ओर से निजीकरण की योजना के विरोध में रविवार को बैंक मोड़ स्थित एसबीआई मुख्य शाखा के समक्ष  विरोध प्रदर्शन किया। कर्मचारी संगठनों ने कहा कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो वे मार्च में संसद का घेराव करेंगे। बताते चलें कि वित्त मंत्री ने इस महीने की शुरुआत में अपने बजट भाषण के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी। यूनाइटेड फोरम ऑफ यूनियंस के बैनर तले नौ यूनियनों एआईआईबीए, एआईबीओसी, एनसीबीई, एआईबीओए, बीईएफआई, आईएनबीईएफ, आईएनबीओसी, एनओबीडब्ल्यू और एनओबीओ के बैंक कर्मचारी और अधिकारी मिलकर सरकार के प्रस्ताव के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं।

यूएफबीआई के जिला संयोजक प्रभात चौधरी ने कहा कि सरकारी बैंकों के सामने एकमात्र समस्या खराब कर्ज की है, जो अधिकांश कॉरपोरेट और अमीर उद्योगपतियों द्वारा लिए जाते हैं। सरकार उन पर कार्रवाई करने के बजाय, बैंकों का निजीकरण करना चाहती है। उन्होंने कहा कि हम मांग करते हैं कि सरकार अपने फैसले पर फिर से विचार करे। कहा कि इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने युवा बेरोजगारों को स्थायी नौकरियां दी हैं, जबकि निजी बैंकों में केवल अनुबंध की नौकरियां हैं। हम 10 मार्च को बजट सत्र के दौरान संसद के सामने धरना प्रदर्शन करेंगे। इसके बाद 15-16 मार्च 2021 को बैंकों के 10 लाख कर्मचारी और अधिकारी दो दिन की हड़ताल करेंगे। अगर सरकार अपने फैसले पर आगे बढ़ती है, तो हम आंदोलन तेज करेंगे और लंबे समय तक हड़ताल और अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे।

प्रदर्शन में  एसके विश्वास, एन के महाराज, सुनील कुमार, सुशील कुमार ओझा, शशि भूषण मिश्रा, आलोक रंजन सिन्हा, शैलेंद्र कुमार, बी पी सिंह, शक्तिकांत दास, रवि सिंह, राजकुमार श्रीवास्तव, राजेंद्र कुमार सहित सैकड़ों की संख्या में यूनियन के सदस्य मौजूद थे।

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