अंटार्कटिका में दरार आने से विशाल आइसबर्ग टूटकर हुआ अलग, ग्रेटर लंदन की बराबर है साइज

अंटार्कटिका के पास एक विशाल आइसबर्ग टूटकर अलग हो गया है। इसकी वजह इसमें आई विशाल दरार है। इसका आकार लगभग ग्रेटर लंदन की बराबर बताया गया है। ब्रिटिश अंटार्कटिका सर्वे रिसर्च सेंटर के पास अलग हुए इस विशाल हिमखंड का पता 16 फरवरी को एक हवाई सर्वे के दौरान चला था। ब्रिटिश अंटार्कटिका सर्वे रिसर्च सेंटर के डायरेक्‍टर जेन फ्रांसिस का कहना है कि ये ब्रंट आइसशेल्‍फ के करीब आ रहा है। इस रिसर्च टीम के मुताबिक ये करीब 1270 वर्ग किमी बड़ा है। इसकी मोटाई की बात करें तो ये करीब 150 मीटर है। वैज्ञानिक अंटार्कटिका पर होने वाली इस तरह की घटना को काल्विंग कहते हैं।

इस रिसर्च टीम को एक दशक में पहली बार इस तरह की घटना यहां देखने को मिली है। इससे पहले यहां पर हिमखंड में दरार देखी गई थी। शुक्रवार से पहले जब इसका हवाई सर्वे किया गया था उस वक्‍त ये पूरी तरह से अलग नहीं हुआ था लेकिन अब ये पूरी तरह से अलग हो चुका है। ब्रिटिश हैली-6 रिसर्च स्‍टेशन इस पर लगातार निगाह रखे हुए है। इसके मुताबिक ये लगातार आगे की तरफ बढ़ रहा है। बीएएस डायरेक्‍टर का ये भी कहना है कि वो इसके लिए लगातार तैयारियां कर रहे थे। 

बीएएस के डायरेक्‍टर ऑपरेशंस सिमोन गेरोड के मुताबिक वर्ष 2016-17 में सुरक्षा कारणों की वजह से मोबाइल रिसर्च बेस को यहां पर आई विशाल दरार की वजह से दूसरी जगह पर स्‍थानंतरित कर दिया गया था। वैज्ञानिकों को इस दरार के बाद लगने लगा था कि ये हिमखंड कभी भी अलग हो सकता है। इस मोबाइल टीम में करीब 12 सदस्‍य है। इन लोगों ने इस बेस को छोड़ दिया था। आपको बता दें कि सर्दियों के मौसम में यहां पर हालात और अधिक खराब हो जाते हैं और यहां पर किसी का भी रहना लगभग नामुमकिन हो जाता है।

आपको यहां पर ये भी बता दें कि अंटार्कटिका से पहले भी हिमखंडों के दरार पड़ने की वजह से टूटकर अलग होने की घटना सामने आती रही है। वैज्ञानिकों ने इसकी वजहों को क्‍लाइमेट चेंज या धरती के बढ़ते तापमान से जोड़कर भी देखा है। हालांकि बीएएस के वैज्ञानिकों का मानना है कि हिमखंड के टूटकर अलग होने की मौजूदा घटना में क्‍लाइमेट चेंज का कारण दिखाई नहीं दे रहा है। उन्‍हें नहीं लगता है कि इस घटना में इसका कोई हाथ है। फ्रांसिस का कहना है कि आने वाले कुछ माह में ये हिमखंड यहां से और अधिक आगे खिसक जाएगा।

आपको ये भी बता दें कि अंटार्कटिका पर कई देशों के रिसर्च सेंटर हैं जो लगातार यहां पर होने वाले तापमान में परिवर्तन के अलावा इसके प्रभावों पर शोध करते हैं। ये वैज्ञानिक इस बात का भी पता लगाते हैं कि क्‍लाइमेट चेंज की वजह से कितनी तेजी से समुद्री जलस्‍तर बढ़ रहा है और इसका भविष्‍य में यहां रहने वाले जीव जंतुओं और समुद्री इलाकों पर क्‍या असर पड़ेगा।

गौरतलब है कि पिछले माह भी एक अंटार्कटिका के नजदीक एक हिमखंड के टूटकर अलग होने का पता चला था। ये हिमखंड लगातार ब्रिटिश टापू की तरफ बढ़ रहा था। इसको दुनिया का सबसे बड़ा आइसबर्ग। बताया गया था जिसका वजह 1 ट्रिलियन टन था। यूरोपीय स्‍पेस एजेंसी (ईएसए) की मानें तो ये 12 जुलाई 2017 को विशाल लार्सन सी आईसशैल से अलग हुआ था। इसके बाद नवंबर में इसको साउथ एटलांटिक में साउथ ऑपिर्कने के पास देखा गया था। ईएसए के मुताबिक दिसंबर तक ये 1050 किमी से अधिक का सफर तय कर चुका था।

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