उत्तराखंड: शपथ ग्रहण पर सचिवालय संघ और सचिवालय प्रशासन आमने-सामने, जानिए कारण

सचिवालय संघ के चुनाव परिणाम पर एक प्रत्याशी की शिकायत पर सचिवालय प्रशासन द्वारा जांच बिठाने और अंतिम निर्णय न होने तक शपथ ग्रहण समारोह पर रोक लगाने के मामले को लेकर सचिवालय संघ ने मोर्चा खोल दिया है। संघ ने सचिवालय प्रशासन पर सचिवालय संघ के कार्यों में हस्तक्षेप का आरोप लगाया है। संघ ने कहा है कि संघ के संविधान में सचिवालय प्रशासन की भूमिका का कोई उल्लेख नहीं है। ऐसे में जांच जैसे अनावश्यक कार्रवाई को निरस्त किया जाए।

सचिवालय संघ में जनवरी में हुए चुनावों में अध्यक्ष पद पर दीपक जोशी और महासचिव पद पर बसंत जोशी ने जीत दर्ज की थी। अध्यक्ष पद पर जीत का अंतर मात्र नौ वोट था। इस पर अध्यक्ष पद के हारे हुए प्रत्याशी ने निर्वाचन प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए सचिवालय प्रशासन को पत्र देकर उचित कार्रवाई करने की मांग की। इस पर सचिवालय प्रशासन ने अपर सचिव प्रताप शाह की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है।

इस पर सचिवालय संघ ने सख्त एतराज जताया है। सोमवार को सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी और बसंत जोशी ने अपर मुख्य सचिव सचिवालय प्रशासन को पत्र भेजकर साफ किया है कि सचिवालय प्रशासन सचिवालय सेवा संवर्ग के अधिकारियों और कर्मचारियों का नियोक्ता है लेकिन सचिवालय संघ सचिवालय प्रशासन के अंतर्गत नहीं होता है। ऐसे में चुनाव होने के बाद निर्वाचन अधिकारी द्वारा घोषित चुनाव परिणाम के विरुद्ध हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। यदि किसी प्रत्याशी को इसपर कोई आपत्ति है तो वह कोर्ट जाने के लिए स्वतंत्र है। सचिवालय प्रशासन इन परिस्थितियों में संघ के शपथ ग्रहण समारोह में अपना मार्गदर्शन और आशीर्वचन नवनिर्वाचित कार्यकारिणी को दे। ऐसा न होने पर संघ कोर्ट की शरण लेगा। 

संघ ने स्थगित किया शपथ ग्रहण समारोह 

सचिवालय संघ ने 16 फरवरी को प्रस्तावित शपथ ग्रहण समारोह स्थगित कर दिया है। संघ की कार्यकारिणी की बैठक में चमोली में आई आपदा के मद्देनजर इस कार्यक्रम को स्थगित करते हुए 22 फरवरी से 28 फरवरी के बीच करने का निर्णय लिया है।

अनुसचिव जेपी मैखुरी को बनाया सलाहकार

संघ की नवनिर्वाचित कार्यकारिणी ने संघ के वरिष्ठ सदस्य और अनुसचिव जेपी मैखुरी को संघ का सलाहकार मनोनीत किया है। संघ ने गोल्डन कार्ड की विसंगतियों को दूर करने के दिए सुझावसचिवालय संघ ने राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना में आ रही विसंगतियों को दूर करने के लिए अपने सुझाव सौंपे हैं।

इसमें कहा कि चिह्नित अस्पतालों को विशेषज्ञता के रूप में चिह्नित न करते हुए उपचार प्रदाता अस्पताल के रूप में चिह्नित किया जाए। गोल्डन कार्ड को प्रत्येक चिह्नित चिकित्सालय में एटीएम कार्ड के रूप में स्वीकार किया जाए। पेंशनर्स से अंशदान कार्यरत कर्मचारियों की तुलना में आधा लिया जाए। ओपीडी की कैशलेश की सुविधा में लाया जाएगा और ओपीडी की जांचों को भी कैशलेश के दायरे में लाया जाए।

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