बिहार: कोसी नदी के गढ़ घाट पर नहीं बन सका पुल, नौका के सहारे 50 हजार लोग आते-जाते

आज भी फरकिया ÓफरकÓ(अलग) ही है। अभी भी यहां के दर्जनों घाट-बाट दुरुस्त नहीं हुए हैं। जिसमें मुख्य रूप से कोसी नदी का गढ़ घाट शामिल है। दशकों से यहां पुल निर्माण को लेकर आंदोलन जारी है, परंतु अभी तक परिणाम ढाक का तीन पात ही निकला है। गढ़ घाट अलौली प्रखंड मुख्यालय से मात्र दो किलोमीटर की दूरी पर है। यहां पुल बन जाने से तीन पंचायत चेराखेरा, आनंदपुर मारन और रामपुर अलौली के लोग सीधे प्रखंड मुख्यालय अलौली से जुड़ जाएंगे। हथवन पंचायत की ङ्क्षबद टोली को भी नौका की सवारी से मुक्ति मिलेगी। 50 हजार से ऊपर की आबादी को आवागमन में सुविधा होगी। फरकिया की आर्थिकी ही बदल जाएगी। 

इन गांवों के लोगों को मिलेगा फायदा

आनंदपुर, परास, गोला, हन्ना मुसहरी, श्याम घरारी, सिसवा, ङ्क्षबद टोली, सोनमनकी, सुखासन, मारनडीह, मोहराघाट, भराठ, बोहरवा आदि।

कई दफा हुआ है आंदोलन

गढ़ घाट पर पुल निर्माण को लेकर कई बार आंदोलन हुआ है। मुख्य रूप से ये आंदोलन फरकिया मिशन की ओर से संचालित किया गया है। फरकिया मिशन के संस्थापक किरणदेव यादव कहते हैं- कोसी नदी की गढ़ घाट पर पुल बनने से फरकिया का कायाकल्प हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इसको लेकर जल्द ही चरणबद्ध आंदोलन किया जाएगा। सांसद, विधायक और विधान पार्षद का घेराव करेंगे।

किसानों को मिलेगा लाभ

फरकिया में हजारों एकड़ में मक्का की खेती होती है। लेकिन आवागमन की समुचित व्यवस्था नहीं होने से किसान औने-पौने दामों पर मक्का बेचने को विवश हो जाते हैं। क्योंकि नाव से मक्का लेकर अलौली आना हर किसान के लिए संभव नहीं है। इसके अलावा एक कहावत है- फरकिया में आठ नदी बहती है। आठवीं नदी दूध की है। लेकिन आवागमन की असुविधा के कारण पशुपालकों को दूध की सही कीमत नहीं मिलती है। परास के किसान राजेश कुमार कहते हैं- हमलोग सोना(मक्का) उपजाते हैं और मिट्टी के भाव बेचते हैं। अगर गढ़ घाट पर पुल बन जाए, तो फरकिया की तकदीर और तस्वीर दोनों बदल जाएगी।

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