उत्तराखंड: टनल में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, अब तक 26 के शव बरामद

चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से बीते रोज आई तबाही के बाद तपोवन-विष्णुगाड परियोजना की एक सुरंग में फंसे करीब 34 व्यक्तियों को सुरक्षित निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। आइटीबीपी, एसडीआरएफ, सेना, जिला प्रशासन की टीम आपरेशन में जुटी हैं। रातभर चले ऑपरेशन में सुरंग से 130 मीटर तक मलबा हटाया जा चुका है। वहीं, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण कर रहे हैं। बता दें कि अब भी 173 लोग लापता हैं, जबकि अभी तक 26 के शव बरामद किए जा चुके हैं। कुल लापता 202 व्यक्तियों में से और पांच व्यक्ति सोमवार को सुरक्षित लौट आए। दूसरी ओर वायुसेना ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री बांटने का काम प्रारंभ कर दिया। 

  • 12 लोग जिन्हें सुरंग (7 फरवरी को) से बचाया गया था, वे यहां भर्ती हैं। उन्होंने शरीर में दर्द की शिकायत की है, क्योंकि वे पानी और मलबे के डर से 3-4 घंटे के लिए लोहे की पट्टी पर लटके हुए थे। डॉक्टरों ने कहा कि वे जल्द ठीक हो जाएंगे- सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत
  • भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के जवानों ने 7 फरवरी को चमोली में सुरंग में फंसे लोगों को बचाया।
  • सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चमोली के जोशीमठ में आइटीबीपी अस्पताल का दौरा कर घायलों का हालचाल जाना।
  • सुरंग में बचाव अभियान चल रहा है, हमें उम्मीद है कि हम दोपहर तक रास्ता साफ कर पाएंगे- अशोक कुमार, डीजीपी
  • रेस्क्यू ऑपरेशन पूरी रात चला और अब भी जारी है। काफी मलबे को हटा दिया गया है। हम अब तक कोई संपर्क स्थापित नहीं कर पाए हैं- अपर्णा कुमार, डीआइजी सेक्टर मुख्यालय, आइटीबीपी देहरादून

गांवों में किया जा रहा राहत सामग्री का वितरण

जोशीमठ-मलारी हाइवे पर मोटरपुल टूटने से कट गए गांवों में भी राहत सामग्री का वितरण किया जा रहा है। राहत व बचाव कार्यों को तेज करने के लिए चमोली जिले को 20 करोड़ की राशि जारी की गई। केंद्रीय मंत्रियों डा रमेश पोखरियाल निशंक और आरके सिंह ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। वहीं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को सचिवालय में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आपदा राहत कार्यों की समीक्षा। शाम देर शाम मुख्यमंत्री ने तपोवन पहुंचकर राहत व बचाव कार्यों का मुआयना किया। मुख्यमंत्री रात्रि विश्राम वहीं करेंगे। चीन सीमा से सटे चमोली जिले के रैणी गांव के समीप बीते रविवार को ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा और धौलीगंगा में उफान आ गया था। केदारनाथ जल प्रलय के बाद ये दूसरी बड़ी दुर्घटना है जिसमें मलबायुक्त पानी ने भारी तबाही मचाई। इसमें 13 मेगावाट का ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट तबाह हो गया, जबकि 520 मेगावाट का तपोवन-विष्णुगाड प्रोजेक्ट का बैराज क्षतिग्रस्त हो गया।

इसके अतिरिक्त जोशीमठ-मलारी हाइवे पर रैणी स्थित चीन सीमा को जोड़ने वाले पुल समेत पांच पुल टूट गए थे। इस आपदा में बीते रोज 13 व्यक्तियों के शव मिले थे, जबकि एक तपोवन-विष्णुगाड प्रोजेक्ट की एक सुरंग में फंसे 12 व्यक्तियों को सुरक्षित बचा लिया था। दूसरी सुरंग में करीब 34 व्यक्तियों के फंसे होने का अंदेशा है। इन्हें बचाने के लिए बीते रोज से ही आपरेशन चलाया जा रहा है। बीते रोज 13 शव बरामद किए गए थे। सोमवार को 11 और शव बरामद किए गए। अब तक मिले 24 शवों की शिनाख्त नहीं हो पाई है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी रिद्धिम अग्रवाल ने बताया कि बीते रोज आपदा से बचने को इधर उधर गए पांच व्यक्ति सोमवार को सुरक्षित मिले। सुरंग से बचाए गए 12 व्यक्तियों समेत अब तक कुल 32 व्यक्तियों के सुरक्षित होने की जानकारी मिल चुकी है।

लापता व्यक्तियों का ब्योरा

लापता व्यक्तियों में रैणी गांव के छह, तपोवन ऋत्विक कंपनी के 115, करछौ गांव के दो, रिंगी गांव के दो, ऋषिगंगा कंपनी के 46, ओम मैटल कंपनी के 21, एचसीसी के तीन, तपोवन गांव के दो लोग शामिल हैं।

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