आर्गेनिक महुआ सैनिटाइजर की बढ़ी दिल्ली और मुंबई में मांग, यहां की महिलाओं ने बड़े पैमाने पर शुरू किया उत्‍पादन

जशपुर की आदिवासी महिलाओं द्वारा तैयार आर्गेनिक महुआ सैनिटाइजर की दिल्ली-मुंबई के उच्च वर्ग में मांग बढ़ती जा रही है। इस सैनिटाइजर में रसायनों का प्रयोग नहीं होने के कारण त्वचा में किसी प्रकार की समस्या नहीं होती। 10 महिलाओं के इस स्टार्टअप को वन विभाग से भी सहयोग मिला है। बीते छह महीने में ही दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद के व्यापारियों को 450 रुपये लीटर की दर से 28 लाख के सैनिटाइजर की सप्लाई की जा चुकी है। वहां इसकी 550 रुपये लीटर में बिक्री होती है। 

सिनगी स्व सहायता समूह की महिलाओं ने डीएफओ एसके जाधव, एसडीओ एसके गुप्ता और कृषि विज्ञानीसमर्थ जैन के सहयोग से मई 2020 में महुआ सैनिटाइजर उत्पादन के लिए एक यूनिट लगाई थी। मांग बढ़ने पर वर्तमान में 32 लाख की लागत से दो यूनिट लगाई गई हैं। इसमें प्रतिदिन 200 लीटर सैनिटाइजर उत्पादन की क्षमता है। मई से लेकर अब तक सात हजार लीटर सैनिटाइजर का उत्पादन किया जा चुका है। समूह की महिलाओं ने स्थानीय व बाहरी व्यापारियों से 31 लाख 50 हजार रुपये का व्यवसाय करते हुए आठ लाख 30 हजार रुपये शुद्ध मुनाफा कमाया है।

इस तरह होता है तैयार

सिनगी समूह की अध्यक्ष शकुंतला भगत ने बताया कि सैनिटाइजर तैयार करने के लिए पहले गांव स्तर पर गठित महिला स्व सहायता समूहों से 60 रपये प्रति किलो की दर से महुआ और 40 रुपये किलो में औषधि पौधे रानू की खरीदी की जाती है। जंगल से औषधि पौधे साजा के पत्ते एकत्र किए जाते हैं और बाजार से गुड़ खरीदा जाता है। महुआ में रानू मिलाकर इसे बड़े बर्तनों में रखकर सड़ाया जाता है। इसके बाद सड़े हुए महुए को उबालकर इसके वाष्प से अल्कोहल प्राप्त किया जाता है। इसका ही सैनिटाइजर के रूप में उपयोग होता है। इसमें एक बूंद भी रसायन नहीं मिलाया जाता है।

लिहाजा इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है।  जशपुर के डीएफओ एसके जाधव का कहना है कि सिनगी स्व सहायता समूह द्वारा तैयार सैनिटाइजर को बाजार में बेहतर प्रतिसाद मिल रहा है। इसकी बढ़ती हुई मांग को देखते हुए क्षमता का विस्तार किया गया है। आगे इसकी गुणवत्ता में और सुधार करने की कोशिश की जा रही है। 

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