मकर संक्रांति पर जानें दान का महत्व, चाणक्य के अनुसार दान से बड़ा पुण्य कोई नहीं

चाणक्य ने चाणक्य नीति की रचना की थी. आचार्य चाणक्य की गिनती भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है. चाणक्य की चाणक्य नीति व्यक्ति को सफल बनाने में सहायक है. चाणक्य नीति की शिक्षाओं पर आज भी बड़ी संख्या में लोग अमल करते हैं और चाणक्य नीति में बताई गई बातों को जीवन में उतारने की कोशिश करते हैं.

मकर संक्रांति का आज पर्व है. पूरे देश में मकर संक्रांति के पर्व को मनाया जा रहा है. दान के महत्व को बताने वाला मकर संक्रांति का पर्व इस बात को भी बताता है कि व्यक्ति को सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि दूसरों के लिए जीना चाहिए. जरूरतमंद व्यक्तियों को मदद प्रदान करने वाला व्यक्ति समाज में सम्मान प्राप्त करता है. चाणक्य ने इसीलिए दान देने की परंपरा को उत्तम बताते हुए मनुष्य के लिए इसे श्रेष्ठ गुण बताया है.
चाणक्य के अनुसार दान करने से व्यक्ति श्रेष्ठ बनता है. दान करने वाले व्यक्ति के पास कभी किसी चीज की कमी नहीं रहती है. दान करने वाले व्यक्ति की ईश्वर भी मदद करते हैं और देवी देवता दानवीरों पर अपनी कृपा बनाकर रखते हैं. दान करने से व्यक्ति महान बनता है.

दान करने से अहंकार का नाश होता
चाणक्य के अनुसार दान करने वाला व्यक्ति अहंकार से मुक्त हो जाता है. क्योंकि दान का पूर्ण लाभ तभी मिलता है जब व्यक्ति अहंकार से दूर रहता है. अहंकारी व्यक्ति दान-पुण्य के कार्यों से दूर रहता है. दिखावे के लिए जो ऐसा करता भी है तो उसे दान का पुण्य प्राप्त नहीं होता है. इसलिए दान पूरे मन और श्रद्धा से करना चाहिए, तभी इसका लाभ मिलता है.

दान करने से देवता प्रसन्न होते हैं
चाणक्य के अनुसार दान करने से अंर्तआत्मा को संतुष्टि का अहसास होता है. दान करने वाला व्यक्ति बुराइयों से दूर रहता है और सदैव श्रेष्ठ कार्यों को करने के लिए अग्रसर रहता है. इसलिए दान करने वालों को समाज में सम्मान प्राप्त होता है.

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