छत्तीसगढ़: इन विदेशी पक्षियों से है बर्ड फ्लू का खतरा

कहीं आसमान के रास्ते बर्ड फ्लू की दस्तक जिले में न पड़ जाए, इसकी निगरानी भी की जा रही है। इसके लिए पशु चिकित्सा विभाग प्रवासी पक्षियों के आगमन के पसंदीदा केंद्रों में नजर बनाए हुए हैं। इनमें कोरबा जिले के कनकी व दर्री बराज शामिल हैं। कनकी में जहां ओपन बिल स्टार्क बड़ी संख्या पहुंचते हैं, दर्री बराज में छोटी जल मुर्गियों और ब्लेक आइबिस का भी आना जाना है। ऐसे में इनके माध्यम से बर्ड फ्लू का संक्रमण कोरबा में न पहुंच जाए, इसे देखते हुए सतत निरीक्षण इन दोनों क्षेत्रों में किया जा रहा। प्रतिदिन विभागीय अमला कनकी व दर्री डेम पहुंचकर पक्षियों का जायजा ले रहा।

देश के अनेक राज्यों में बर्ड फ्लू की दस्तक के बाद छत्तीसगढ़ में भी सतर्कता के लिए शासन-प्रशासन अलर्ट पर है। पशु चिकित्सा विभाग की ओर से निगरानी शुरू कर दी गई है, ताकि किसी भी तरह से फ्लू की आहट मिलते ही उसकी रोकथाम की कार्रवाई तत्काल सुनिश्चित की जा सके। इसी क्रम में विभाग की अलग-अलग टीम जिले के विभिन्न क्षेत्रों की निगरानी कर रही। सबसे ज्यादा उन दो स्थानों पर केंद्रित किया जा रहा, जहां हर साल प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा लगता है।

इनमें कनकी का प्रसिद्ध पक्षी दर्शन केंद्र व दर्री बराज शामिल हैं। कनकी में प्रतिवर्ष ओपन बिल स्टार्क प्रजाति के प्रवासी पक्षी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। विभाग का कहना है कि बाहर से उड़कर यहां आना-जाना करते समय इनके बर्ड फ्लू से संक्रमित होने की संभावना हो सकती है, जिससे यहां आकर स्थानीय पक्षियों या मानवों को संक्रमित कर सकते हैं। इसलिए प्रतिदिन शाम के समय इनकी जानकारी एकत्र की जा रही है।

इसी तरह दर्री बराज में भी छोटी जल मुर्गी, ब्लैक आइबिस व अन्य पक्षी आते हैं, जिन पर सतत निगाह रखी जा रही है। लोगों से भी प्रवासी पक्षियों के आने-जाने के क्षेत्र में निगाह रखने कहा जा रहा, जिनकी सजगता से ऐसी कोई स्थिति निर्मित होने पर समय रहते नियंत्रण किया जाना संभव हो सके।

प्रतिदिन स्पाट पर जाकर निरीक्षण

कनकी में ओपन बिल स्टार्क का प्रजनन काल जुलाई से सिंतबर तक माना जाता है और अक्टूबर में वापस लौट जाते हैं। दर्री बराज के आस-पास ब्लैक आइबिस साल भर देखे जाते हैं।उप संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं एसपी सिंह ने बताया कि प्रवासी पक्षियाें के माध्यम से इस बीमारी के आने की संभावना हो सकती है।

कनकी में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं और कुछ प्रजाति कम संख्या में दर्री डेम में भी पहुंचती है, जहां पर नियमित निगरानी की जा रही है। यहां इस बात की निगरानी की जा रही कि कहीं कोई पक्षी मृत तो नहीं हो रहा। सिंह ने कहा कि अगर ऐसी कोई घटना अचानक सामने आती है, तो बिना देर किए तत्काल उसकी सूचना विभाग को पहुंचाएं। ऐसे मामलों को छुपाएं नहीं, क्योंकि इससे वे खुद के साथ अपने परिवार व पूरे शहर काे खतरे में डाल सकते हैं।

पोल्ट्री फार्म में नियमित सैंपलिंग

वर्तमान में बर्ड फ्लू के फैलने की बढ़ती संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए पोल्ट्री फार्म व शासकीय फार्म में नियमित रूप से सैंपलिंग की जा रही, जिसकी रिपोर्ट प्रतिदिन शाम को चार बजे तक मुख्यालय भेज दी जाती है। सामान्य तौर पर बर्ड फ्लू में पक्षियों के आंख और नाक से पानी आने और मलद्वार में सूजन होने सहित पंखों के झड़ने की स्थिति निर्मित होती है। विभाग ने आम लोगों, पक्षी प्रेमियों व पोल्ट्री फार्म संचालकों को सजग बनने कहा है। इसका कोई प्रोटेक्टिव उपचार नहीं है। इसलिए इस बीमारी को दूर रखने लोगों की सजगता, सतर्कता व सहयोग सबसे महत्वपूर्ण है।

अभी चिकन-अंडे से डर नहीं, होगा तो अलर्ट करेंगे

उप संचालक सिंह ने कहा कि लोग डरें नहीं, बस सजग व सतर्क रहें। वर्तमान में चिकन या अंडे का सेवन कर सकते हैं और जब इस पर रोक लगानी होगी, विभाग की ओर से सूचना जारी कर सावधान किया जाएगा। वर्तमान में कोरबा में बर्ड फ्लू की सूचना नहीं है। पर कहीं पर भी कोई जंगली पक्षी, जल मुर्गी, बतख, मुर्गी, कबूतर मृत होते हैं तो तुरंत सूचित करें। एक-दो मरे तो इसे नजरंदाज किया जा सकता है, पर अगर लगातार बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत हो रही, तो बिना समय गंवाए सूचित करना ही समझदारी होगी। इस तरह वे बीमारी की रोकथाम में मददगार बन सकेंगे।

दरवाजे पर चूना लगाएं, अंजान को प्रवेश न दें

पाेल्ट्री फार्म संचालकों के लिए भी सावधानी के साथ स्वच्छता व सतर्कता संबंधी प्रोटोकाल का पालन जरूरी होगा। मुर्गियों की सुरक्षा व्यवस्था हर हाल में सुनिश्चित करें। किसी भी अंजान व्यक्ति को अपने पोल्ट्री फार्म में प्रवेश करने न दें। दरवाजे पर चूना डालें व अन्य दवाइयों का प्रयोग करें। फार्म में काम करने वाले कर्मी भी साफ-सफाई से काम करें। अपने हाथ-पैर को संक्रमण नाशक से स्वच्छ करते रहें, ताकि उनकी वजह से संक्रमण मुर्गियों में या मुर्गियों से कोई भी प्रकार का संक्रमण कर्मचारियों में न आ जाए। अगर उनकी मौत होती है तो तत्काल विभाग को सूचित करें।

 

 

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