ऐसी है कोयला माफिया की ताकत, कोयला तस्कर लाला के धंधे पर छापा पड़ने से बाजार में सामग्रियों के बढ़े दाम

कोई तस्कर किसी व्यवसाय में कितना प्रभावी होता है, यह जानना हो तो झारखंड या बंगाल आएं। यहां आलम यह है कि कोयला तस्कर लाला के धंधे पर छापा क्या पड़ा कि बाजार में कई सामग्रियों की कीमतें बढ़ गईं। वह भी 40 फ  सद तक। लेकिन ठहरिए। यदि आप कोयले की कीमत की बात कर रहे हैं तो उसे भूल जाइए। दरअसल लाला उर्फ अनूप माजी का कोयले के अलावा लौह अयस्क (आयरन ओर) का भी धंधा था। सीबीआइ छापे की वजह से उसका वह कारोबार भी ठप पड़ गया। नतीजा स्टील कंपनियों को सस्ते में मिलने वाले लौह अयस्क की आपूर्ति भी बंद हो गई। सो स्टील कंपनियों विशेषकर सरिया निर्माताओं ने भी लागत देखते हुए अपने उत्पादों की कीमतें बढ़ा दी हैं। खरमास में भवन निर्माण न के बराबर है, फिर भी सरिया की कीमतें 40 फ  सद तक बढ़ चुकी है। लोग सीबीआइ को कोस रहे हैं।

नौ दिन चले अढ़ाई कोस

बीसीसीएल ने कोयलांचल से पेयजल संकट दूर करने को हाल में दो परियोजनाओं पर काम शुरू किया है। एक दामोदर पर डैम बनाने का और दूसरा खदानों के पानी का शोधन कर पेयजल बनाने का। दूसरी परियोजना पर कंपनी दो वर्ष पहले भी काम कर चुकी है। इसे दो ही वर्ष में क्रियान्वित होना था। दो वर्ष बीत गए। परिणाम क्या हुआ, सबके सामने है। सांसद महेश पोद्दार व तत्कालीन मेयर के साथ मौजूदा सीएमडी ने ही उस परियोजना पर काम शुरू किया था। छह क्लोरीनेशन प्लांट व दो ऑस्मोसिस प्लांट लगाए जाने थे। बरोरा, गोविंदपुर, पुटकी बलिहारी, बस्ताकोला और चांच विक्टोरिया में जलापूर्ति होनी थी। इसमें खर्च निगम व नगर विकास विभाग को करना था। दो वर्ष बाद अभी तक सिर्फ  टेंडर ही हुआ है। ऐसे में नई परियोजना का क्या होगा, काबिल-ए-गौर है।

प्रोडक्शन न सही, बैठक ही सही

कोल इंडिया व बीसीसीएल की बैठक कोई हो, मुद्दा बस एक होता है प्रोडक्शन-डिस्पैच। बावजूद यह बढऩे का नाम ही नहीं ले रहा। हां, एक बात गौर करने लायक जरूर है कि इन दिनों प्रोडक्शन बढ़े न बढ़े, बैठकें जरूर बढ़ रही हैं। इनकी संख्या के साथ समय भी बढ़ रहा है। हाल के दिनों में तो दो-तीन घंटे की बैठक तो आम बात हो गई है। वह चाहे वीडियो कांफ्रें सिंग के जरिए हो या साक्षात। अब सोमवार की ही बात लीजिए। रात नौ बजे तक योजना व परियोजना के तकनीकी निदेशक के साथ महाप्रबंधकों की वार्ता होती रही। वित्तीय वर्ष के बचे हुए दिनों में कौन क्षेत्र कितना उत्पादन व डिस्पैच करेगा इसका लिखित आश्वासन देने को कहा गया। इसके लिए महाप्रबंधकों को एक दिन का समय दिया गया है। बैठक में सभी 12 क्षेत्रों के महाप्रबंधक व परियोजना पदाधिकारी मौजूद थे।

पश्मीना शॉल बनाम कंबल

झरिया कोयलांचल में इन दिनों दो जुमले बड़े प्रचलित हैं। एक तो यह कि विधायक जब भूधंसान प्रभावित इलाके में कंबल बांटने गईं तो लोगों ने विरोध कर दिया। कहा कि ऐसा कंबल तो हम बकरियोंं को ओढ़ाते हैं। अब सवाल उठता है कि यदि भूधंसान क्षेत्र के लोग इतने ही रईस थे कि सरकारी कंबल बकरियों को ओढ़ाएं तो उन्होंने बीसीसीएल के क्वार्टर पर कब्जा क्यों जमा रखा है। वे अग्नि प्रभावित इलाके में रहते ही क्यों हैं। लेकिन इस झमेले में पडऩे से पहले एक और जुमले पर गौर करिए। विधायक की प्रतिद्वंद्वी नेत्री ने एक ठिठुरती महिला को अपना पश्मीना शॉल भेंट कर दिया। क्या सच में? वे कितनों को यह गिफ्ट देती फि रेंगी। पर इसकी काट में कोई और जुमला प्रसिद्ध नहीं हो रहा। तो क्या विधायक का प्रचार तंत्र फ  का पड़ रहा है। यह लोकप्रियता का पैमाना भी हो सकता है।

 

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