अमित शाह ने किया बड़ा खुलासा, बताया भाजपा ने क्यों लिया महबूबा सरकार से समर्थन वापस

दो दिवसीय दौरे पर शनिवार को जम्मू पहुंचे भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस जितना भी षड्यंत्र करे लेकिन कश्मीर अलग नहीं होगा। शाह डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के 65वें बलिदान दिवस पर परेड में आयोजित रैली को संबोधित करते हुए शाह ने आखिरकार इस बात से भी पर्दा उठा दिया कि भाजपा ने पीडीपी से समर्थन वापस क्यों लिया।

शाह ने इसके पीछे बताया कि भाजपा के लिए सरकार नहीं बल्कि जम्मू और कश्मीर का विकास और उसकी सुरक्षा एक मात्र उद्देश्य है। राज्य में महबूबा सरकार ने विकास का संतुलन बिगाड़ा। केंद्र की तरफ से जारी फंड में महबूबा सरकार ने जम्मू और लद्दाख से भेदभाव किया।

उन्होंने आगे कहा ‘जो 70 साल में नहीं हुआ वह मोदी सरकार ने जम्मू और कश्मीर के विकास के लिए करने का प्रयास किया लेकिन राज्य की सरकार द्वारा कोई विकास का कार्य आगे नहीं बढ़ाया।

शुक्रवार को कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज के बयाान पर पलटवार करते हुए शाह ने कहा कि भाजपा कभी जम्मू कश्मीर को भारत से अलग नहीं होने देगी। जम्मू कश्मीर हिंदुस्तान का अटूट हिस्सा है। श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इससे अपने खून से सींचा है।  आज जम्मू और कश्मीर पूरे भारत के साथ जुड़ा है तो वह डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के बलिदान के कारण जुड़ा है

भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि ‘कांग्रेस के नेता कश्मीर के सम्बन्ध में बयान देते हैं और उनके बोलते ही लश्कर-ए-तैयबा उसका समर्थन कर देता है। राहुल गांधी जवाब दें कि आपके नेता के बयान को लश्कर-ए-तैयबा समर्थन कर रहा है, यह कांग्रेस और लश्कर-ए-तैयबा के बीच में किस प्रकार का रिश्ता है?’

उन्होंने कहा कि ‘कोई भी अगर हमारे देश की सीमाओं से छेड़छाड़ करने का प्रयास करेगा तो हमारी देश की सेना उसे माकूल जवाब देने के लिए पूरी तरह सक्षम है।’

इससे पहले उन्होंने आगामी लोकसभा चुनाव की रियासत में तैयारी के लिए भाजपा और संघ परिवार के नेताओं से बातचीत की।

वहीं, अपनी यात्रा के दूसरे दिन यानी रविवार को भाजपा अध्यक्ष प्रजा परिषद आंदोलन पर आधारित पुस्तक का भी विमोचन करेंगे। उसके बाद दिल्ली लौटेंगे। इस दौरे पर उनके साथ भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव संगठन राम लाल और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन के निदेशक डॉ. अनीरबन गांगुली पहुंचे हैं। 

उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती सरकार गिरने के बाद बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्य में तत्काल प्रभाव से राज्यपाल शासन लागू करने को मंजूरी दे दी। इससे पहले, भाजपा ने मंगलवार को मुफ्ती सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था, जिसके बाद महबूबा मुफ्ती ने अपना इस्तीफा राज्यपाल एनएन वोहरा को सौंप दिया। 

बता दें कि सूबे में विधानसभा की कुल 87 सीटें हैं, जिसमें पीडीपी के पास 28 और भाजपा के खाते में 25 सीटें हैं। उधर विपक्ष की तिजोरी खंगालें तो उमर अब्दुल्लाह की नेशनल कांफ्रेंस के पास 15 और कांग्रेस के पास 12 सीटें हैं।

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